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प्रेगनेंसी में क्यों करते हैं अल्ट्रासाउण्ड सोनोग्राफी (Ultrasound Sonography in Pregnancy Hindi)

गर्भावस्था एक अद्भुत और रोमांचक अनुभव है, और इस दौरान मां और बच्चे के स्वास्थ्य की जांच के लिए कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण टेस्ट है अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी (Ultrasound Sonography in Pregnancy Hindi) । यह एक सुरक्षित और गैर-इनवेसिव इमेजिंग तकनीक है जो गर्भाशय में विकसित हो रहे बच्चे की तस्वीरें प्रदान करती है।)

अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी का उपयोग गर्भावस्था (Ultrasound Sonography in Pregnancy Hindi)के दौरान कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:

गर्भावस्था की पुष्टि करना: अल्ट्रासाउंड का उपयोग यह पुष्टि करने के लिए किया जा सकता है कि आप गर्भवती हैं और गर्भधारण कितने समय का है।

भ्रूण के विकास की निगरानी करना: अल्ट्रासाउंड का उपयोग गर्भाशय में बच्चे के विकास और वृद्धि की निगरानी के लिए किया जा सकता है।

भ्रूण की स्थिति और गतिविधि का आकलन करना: अल्ट्रासाउंड का उपयोग यह देखने के लिए किया जा सकता है कि बच्चा किस स्थिति में है और क्या वह हिल रहा है।

भ्रूण की संख्या निर्धारित करना: अल्ट्रासाउंड का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि आप एक बच्चे, दो बच्चों (जुड़वाँ) या इससे अधिक बच्चों को जन्म दे रही हैं या नहीं।

जन्मजात दोषों का पता लगाना: कुछ मामलों में, अल्ट्रासाउंड का उपयोग कुछ जन्मजात दोषों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।

एमनियोटिक द्रव की मात्रा की जांच करना: अल्ट्रासाउंड का उपयोग गर्भाशय को घेरने वाले तरल पदार्थ (एमनियोटिक द्रव) की मात्रा की जांच करने के लिए किया जा सकता है।

गर्भनाल और प्लेसेंटा का मूल्यांकन करना: अल्ट्रासाउंड का उपयोग गर्भनाल और प्लेसेंटा की स्थिति और स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है।

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अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी क्या होता है?

अल्ट्रासाउंड उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों का उपयोग करके शरीर के अंदर की छवियां बनाने की एक तकनीक है। ये ध्वनि तरंगें हानिकारक नहीं होती हैं और शरीर के विभिन्न ऊतकों से भिन्न रूप से परावर्तित होती हैं। अल्ट्रासाउंड मशीन इन परावर्तित तरंगों को इकट्ठा करती है और उन्हें विस्तृत चित्रों में बदल देती है जिन्हें डॉक्टर द्वारा स्क्रीन पर देखा जा सकता है।

अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी कितने प्रकार का होता है?

गर्भावस्था के दौरान, दो मुख्य प्रकार के अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है:

पेट का अल्ट्रासाउंड (Abdominal ultrasound): इस प्रकार के अल्ट्रासाउंड में, एक ट्रांसड्यूसर को पेट पर जेल लगाकर गर्भाशय की छवियों को प्राप्त करने के लिए घुमाया जाता है।

ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड (Transvaginal ultrasound): इस प्रकार के अल्ट्रासाउंड में, एक पतली, जांच योनि में डाली जाती है और गर्भाशय और उसमें विकसित हो रहे बच्चे की छवियों को प्राप्त करने के लिए उपयोग की जाती है।

गर्भावस्था में ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड क्यों किया जाता है?

गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में, आमतौर पर ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है क्योंकि यह पेट के अल्ट्रासाउंड की तुलना में अधिक स्पष्ट चित्र प्रदान करता है।

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ट्रांसवेज़ाइनल अल्ट्रासाउंड के क्या लाभ होते हैं?(Benefits of a Transvaginal Ultrasound)

ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:

शुरुआती गर्भावस्था का पता लगाना: गर्भधारण के शुरुआती हफ्तों में गर्भाशय अपेक्षाकृत छोटा होता है। पेट के ऊपर से अल्ट्रासाउंड करने पर गर्भधारण का पता लगाना मुश्किल हो सकता है। ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड गर्भाशय (transvaginal ultrasound Uterus) के करीब से छवियां प्राप्त कर सकता है, जिससे गर्भावस्था का जल्दी पता लगाना आसान हो जाता है।

भ्रूण के विकास की निगरानी करना: ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड गर्भाशय (transvaginal ultrasound Uterus) के अंदर भ्रूण के विकास की अधिक विस्तृत तस्वीरें प्रदान कर सकता है, जिससे डॉक्टर को यह देखने में मदद मिलती है कि बच्चा अपेक्षित रूप से विकसित हो रहा है या नहीं।

एक्टोपिक गर्भावस्था का पता लगाना: एक्टोपिक गर्भावस्था तब होती है जब भ्रूण गर्भाशय के बाहर विकसित होता है। ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड एक्टोपिक गर्भावस्था का जल्दी पता लगाने में मदद कर सकता है।

गर्भपात के जोखिम का आकलन करना: कुछ मामलों में, ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड गर्भपात के जोखिम का आकलन करने में मदद कर सकता है।

अन्य स्थितियों में टीवीएस के लाभ (Benefits of TVS Test)

ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड का उपयोग गर्भावस्था के अलावा अन्य स्थितियों में भी किया जा सकता है, जैसे:

गर्भाशय की असामान्यताओं का पता लगाना

अंडाशय के सिस्ट या ट्यूमर का मूल्यांकन करना

इनफर्टिलिटी (बांझपन) के कारणों का पता लगाना

निष्कर्ष

अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी गर्भावस्था के दौरान एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह माँ और बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करने और गर्भावस्था की प्रगति की निगरानी करने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान दो मुख्य प्रकार के अल्ट्रासाउंड का उपयोग किया जाता है: पेट का अल्ट्रासाउंड और ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड। ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में उपयोगी होता है क्योंकि यह पेट के अल्ट्रासाउंड की तुलना में अधिक विस्तृत चित्र प्रदान करता है। यदि आप इसके बारे में कुछ नहीं जानते हैं। इसलिए, हम आपकी प्रेगनेंसी यात्रा सुचारू और सफलतापूर्वक सुनिश्चित करने के लिए आज ही डॉ रश्मि प्रसाद से ले ।

FAQs

अल्ट्रासाउंड कैसे देखा जाता है?  

अल्ट्रासाउंड स्कैन के दौरान, आप आराम से एक परीक्षा की मेज पर लेट जायेंगी।  प्रशिक्षित विशेषज्ञ (Sonographer)  जेल लगाकर ट्रांसड्यूसर को आपकी त्वचा पर घुमाएगा। ट्रांसड्यूसर से प्राप्त संकेतों को एक कंप्यूटर द्वारा संसाधित किया जाता है और फिर एक वीडियो मॉनिटर पर प्रदर्शित किया जाता है। आप और आपका डॉक्टर स्क्रीन पर बच्चे की छवियों को देख सकते हैं।

सोनोग्राफी से क्या होता है?  

सोनोग्राफी से कोई भी चीज़ शरीर से नहीं निकाली जाती है। यह एक इमेजिंग टेस्ट है जो शरीर के अंदर की संरचनाओं को देखने के लिए उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है।

अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट कैसे समझे 

अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में आम तौर पर गर्भावस्था की तिथि, भ्रूण की गतिविधि और माप, एमनियोटिक द्रव की मात्रा और प्लेसेंटा के स्थान जैसी जानकारी शामिल होती है।  हालांकि, रिपोर्ट को समझने के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना सबसे अच्छा होता है।

सोनोग्राफी रिपोर्ट कैसे देखते हैं?

आपका डॉक्टर आपको अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट की व्याख्या करेगा और आपको गर्भावस्था और बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में कोई भी जानकारी देगा। रिपोर्ट में आम तौर पर तकनीकी शब्द होते हैं जिन्हें समझना मुश्किल हो सकता है। यदि आपको रिपोर्ट में कुछ समझ में नहीं आता है, तो अपने डॉक्टर से पूछने में संकोच न करें।

Dr Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

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