Female Infertility

Surrogacy Meaning in Hindi: सरोगेसी क्या है? प्रक्रिया और लाभ

घर में किलकारी सुनना हर दंपती का सपना होता है, लेकिन कुछ दंपती लाख कोशिशों के बाद भी कंसीव नहीं कर पाते या फिर गर्भपात का सामना कर रहे हो, ऐसे में सरोगेसी (Surrogacy meaning in Hindi) उनके लिए आशीर्वाद रूप साबित होता है। आजकल फिल्म इंडस्ट्री में भी कई सेलिब्रिटी सरोगेसी के माध्यम से बच्चे को जन्म दे चुके हैं। इसमें एग डोनर या स्पर्म डोनर या फिर दोनों के जरिए भ्रृण को विकसित किया जाता है।

सरोगेसी (Surrogacy Kya Hai) में अपने बच्चे को किसी दूसरी महिला के कोख में पाला जाता है। इसमें महिला दूसरे दंपती के लिए गर्भवती होती है। उनके बच्चे को 9 महीने तक कोख में पालती है और उसे जन्म देती है। जो दंपती प्राकृतिक रूप से मां-बाप नहीं बन सकते उनके लिए सरोगेसी एक अच्छा विकल्प साबित होता है।

सरोगेसी क्या है? (Surrogacy Meaning in Hindi)

जो महिला गर्भधारण करने में सक्षम नहीं है या फिर गर्भपात की समस्याओं से जूझ रही हो उसके लिए सरोगेसी काफी फायदेमंद साबित होता है। सरोगेसी को किराए की कोख भी कहां जाता है। जिसमें कोई महिला किसी दूसरे दंपती के बच्चे को गर्भ में पालती है। जिसे सरोगेट मदर कहा जाता है। सिंगल पेरेंट भी सरोगेसी के माध्यम से बच्चे का सुख प्राप्त कर सकते हैं।

सरोगेसी की प्रक्रिया (Process of Surrogacy in Hindi)

सरोगेसी प्रक्रिया में कुछ जरूरी नियमों का पालन करना पड़ता है।

1. सबसे पहले सरोगेट मदर का चुनाव किया जाता है। आम तौर पर सरोगेट मदर बच्चे की चाह रखने वाले माता-पिता के करीबी में से एक होती है। या फिर जो महिला संपूर्ण स्वस्थ हो उसे सरोगेट मदर के तौर पर चुना जाता है।

2. सबसे पहले सरोगेसी के लिए कानून अग्रीमेंट बनाया जाता है। सरोगेसी के जरिए बच्चे की चाह रखने वाले माता-पिता और सरोगेट मदर के बीच यह कानूनी अग्रीमेंट बनाया जाता है। जिस मुताबिक, सरोगेट मदर 9 महीने तक बच्चे को कोख में पालेगी और फिर उसका जन्म होते हीं लीला पेरेंट को सोंफ देगी।

3. महिला के एग और पुरुष के स्पर्म को लेबोरेटरी में फर्टिलाइज किया जाता है। बाद में इसे सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।

4. 9 महीने के बाद सरोगेट मदर बच्चे को जन्म देती है। जिसके बाद बच्चे को लीगल पेरेंट को सौंप दिया जाता है और सरोगेट मदर को पूरी फीस भी दे दी जाती है।

सरोगेसी के प्रकार (Types of Surrogacy in Hindi)

सरोगेसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है – ट्रेडिशनल सरोगेसी और जेस्टेशनल सरोगेसी

1. ट्रेडिशनल सरोगेसी

इस सरोगेसी में सरोगेट मदर हीं बच्चे की बायोलॉजिकल मदर होती है। इसमें डोनर या पिता की चाह रखने वाले पुरुष के स्पर्म को सरोगेट मदर के एग के साथ फर्टिलाइज किया जाता है। हालांकि सरोगेट मदर बच्चे के जन्म के बाद उनके माता-पिता को सौंप देती है।

2. जेस्टेशनल सरोगेसी

इस सरोगेसी में ट्रेडिशनल सरोगेसी की तरह सरोगेट मदर के एग का उपयोग नहीं किया जाता। इसमें बच्चे की चाह रखने वाले पिता के स्पर्म और माता के एग को फर्टिलाइज कर सरोगेट मदर में प्रत्यारोपित किया जाता है। ऐसे में सरोगेट मदर बच्चे की बायोलॉजिकल मदर नहीं रहती।

सरोगेसी के फायदे (Benefits of Surrogacy in Hindi)

सरोगेसी के कई सारे फायदे हैं जो निम्नलिखित हैं।

1. जो दंपती इनफर्टिलिटी का सामना कर रहे हैं या फिर बार-बार गर्भपात हो रहा हो ऐसे में सरोगेसी के जरिए दंपती संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं।

2. कभी कभी माता आनुवंशिक बीमारी से जूझ रही हो तब बच्चे को इन बीमारी से बचाने के लिए सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा किया जाता है।

3. जो दंपती बच्चे को गोद नहीं लेना चाहती उनके लिए सरोगेसी अच्छा विकल्प है।

4. सरोगेसी के जरिए कोई एक पेरेंट बच्चे का बायोलॉजिकल पेरेंट होता है और अगर स्पर्म और एग दोनों ही इच्छुक माता-पिता के हो तो दोनों हीं बच्चे के बायोलॉजिकल पेरेंट्स कहलाते हैं।

सरोगेसी की प्रक्रिया में चुनौतियां और संभावित जोखिम

सरोगेसी के कई फायदे हैं लेकिन साथ में चुनौतियां और संभावित जोखिम भी है।

  • कभी कभी ट्रेडिशनल सरोगेसी में सरोगेट मदर बच्चे के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ जाती है, ऐसे में बाद में बच्चे को लीगल पेरेंट्स को सौंपने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। कुछ देशों में तो इस बात को ध्यान में रखते हुए ट्रेडिशनल सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
  • सरोगेट मदर को अगर कोई बीमारी हो तो वह आने वाले बच्चे में भी हो सकती है।
  • सभी प्रैगनेंसी की तरह सरोगेसी में भी समय से पहले प्रसव का जोखिम रहता है।

भ्रृण प्रत्यारोपित करते समय हैवी ब्लीडिंग या ऐंठन का सामना करना पड़ सकता है।

सरोगेसी के लिए कानूनी पहलू (Legal Aspects of Surrogacy in Hindi)

सरोगेसी से कई परिवार में खुशियां आईं है लेकिन इसके दुरूपयोग न हो इसलिए हमारे देश में सरोगेसी से जुड़े कुछ नियम है, जिसका पालन करना आवश्यक है। इसके लिए सरोगेसी बिल भी लाया गया है जिसे 2019 में पास किया गया था और बाद में सरोगेसी (रेगुलेशन) रूल्स 2022 में संशोधन भी किया गया है। जिससे पुराने कानून में कई बदलाव किए गए हैं।

1. पुराने कानून के मुताबिक, सरोगेसी में अगर किसी डोनर के स्पर्म या एग का करना हो तो मेडिकल बोर्ड से अनुमति लेनी जरूरी होती थी कि सरोगेसी करवाने वाला दंपती मेडिकल स्थिति की वजह से स्पर्म और एग नहीं दे सकते लेकिन अब वे डोनर एग और स्पर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं।

2. विधवा या डिवोर्सी महिला को सरोगेसी के लिए अपने हीं एग का इस्तेमाल करना होगा, वे स्पर्म के लिए डोनर की मदद ले सकते हैं।

3. सरोगेसी के दुरूपयोग की वजह से दिसंबर 2022 से भारत में व्यावसायिक सरोगेसी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।  

4. सरोगेसी कानून के मुताबिक विदेशियों द्वारा सरोगेसी का दुरूपयोग हो सकता है इसलिए विदेशी नागरिक भी भारत मे सरोगेट मदर की मदद नहीं ले सकते।

5. समलैंगिक दंपती बच्चे पैदा करने के लिए सरोगेसी का इस्तेमाल नहीं कर सकते।

6. पुराने कानून के मुताबिक, सरोगेसी के जरिए बच्चा पैदा करने के लिए बच्चे की चाह रखने वाले दंपती का स्पर्म या फिर एग का इस्तेमाल करना जरूरी होता था। लेकिन अब सरोगेसी रूल्स 2022 में संशोधन किया गया है, जिसके बाद अब महिला डोनर एग का इस्तेमाल कर सकती है।

7. सरोगेसी से जन्मे बच्चे 18 साल के होने पर उसे यह जानने का अधिकार है कि वे सरोगेसी से पैदा हुए हैं और सरोगेट मदर की पहचान का भी अधिकार मिलता है।

निष्कर्ष

संतान सुख सभी दंपती का सपना होता है लेकिन कभी कभी कुछ दंपती प्राकृतिक रूप से मां-बाप बनने में असमर्थ रहते हैं। सरोगेसी (Surrogacy meaning in Hindi) उन दंपतियों के लिए एक वरदान साबित हुआ है जो मां-बाप तो बनना चाहते हैं लेकिन जटिल मेडिकल कंडिशन उन्हें साथ नहीं दे रही। सरोगेसी को लेकर दुरूपयोग न हो इसलिए सरकार भी कानूनो में संशोधन कर इस प्रक्रिया को आसान बना रही है। अगर आप भी सरोगेसी के बारे में जानना चाहते हैं, तो Surrogacy and IVF Specialist, Dr. Rashmi Prasad और Diwya Vatsalya Mamta IVF की सेवाओं का लाभ उठाकर इस विषय पर और गहराई से समझ सकते हैं, अधिक जानकारी के लिए आज ही हमसे संपर्क करे । 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

सरोगेसी बच्चा कैसे पैदा होता है?

इस प्रक्रिया में डॉक्टर इच्छित माता या एग डोनर के एग को इच्छित पिता या स्पर्म डोनर के स्पर्म से फर्टिलाइज करके भ्रृण बनाते हैं और उसे बाद में सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रस्थापित किया जाता है।

सरोगेसी के नियम क्या है?

कोई भी दंपती किसी डोनर के स्पर्म या एग का इस्तेमाल कर बच्चे को जन्म दे सकते हैं। हालांकि सरकार के कानून के मुताबिक मेडिकल बोर्ड से इसकी अनुमति लेना अनिवार्य है।

सरोगेसी और IVF में क्या अंतर है?

सरोगेसी में भ्रृण को इच्छित महिला में प्रत्यारोपित किया जाता है, जबकि IVF में भ्रृण को लेबोरेटरी में विकसित किया जाता हैं और बाद में सरोगेट मदर के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।

सरोगेसी कौन करवा सकता है?

जो दंपती प्राकृतिक रूप से माता-पिता नहीं बन सकते वे सरोगेसी करवा सकते हैं। हालांकि सरोगेसी के लिए पुरुष की उम्र 26 से 55 वर्ष और महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच में होनी चाहिए।

सरोगेट मदर बनने के क्या मापदंड होते हैं?

सरोगेट मदर की उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच होनी चाहिए और महिला अपने जीवनकाल में सिर्फ एक बार हीं सरोगेट मदर बन सकती है। महिला की खुद की संतान हो और उसकी कम से कम एक बार बिना किसी जटिलता के गर्भावस्था रही हो। इसके अलावा सरोगेट मदर बनने से पहले महिला की शारीरिक और मानसिक जांच भी की जाती है।

क्या कुंवारी लड़की सरोगेसी करवा सकती है?

भारत में सरोगेसी कानून के मुताबिक, अनमैरिड कपल्स और कुंवारी लड़की या लड़का सरोगेसी नहीं करवा सकते। हालांकि विधवा या डिवोर्सी महिला सरोगेसी के जरिए संतान सुख प्राप्त कर सकती है।

सरोगेसी की अनुमति किसे दी जाती है?

जो दंपती इनफर्टिलिटी, गर्भपात की समस्या से जुझ रहे हों, कोई आनुवंशिक बीमारी हों जिसकी वजह से गर्भधारण न हो पा रहा हों, व्यावसायिक स्वार्थ न जुड़ा हों जैसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर हीं सरोगेसी की अनुमति दी जाती है।

भारत में सरोगेसी का खर्च कितना है?

भारत में सरोगेसी की लागत 10 लाख रुपए से लेकर 15 लाख रुपए तक होती हैं, इसमें कानून अग्रीमेंट का खर्च, मेडिकल खर्च, स्क्रीनिंग जैसे खर्च भी शामिल होते हैं।

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

Related Articles