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Pregnancy Symptoms in Hindi: प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण?

प्रेगनेंसी (Pregnancy) हर महिला के जीवन का एक खास और खूबसूरत पलों में से एक है, और हर महिला इस पल का अनुभव करना चाहती है। इस दौरान महिला को काफी चीजों का ध्यान भी रखना परता है, जैसे की प्रेगनेंसी कन्फर्म है की नही। प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण (Pregnancy Symptoms) हर महिला में अलग हो सकते हैं। यह एक ऐसा समय है जब शरीर में कई बदलाव होते हैं, और इन बदलावों के कारण महिलाओं को कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं।

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण (Pregnancy Symptoms in Hindi) कुछ महिलाओं को जल्दी संकेत मिलते हैं जैसे की पीरियड्स का मिस होना या उल्टी होने। जबकि अन्य में लक्षण धीरे-धीरे दिखाई देते हैं। यह ब्लॉग आपको गर्भावस्था के पहले संकेतों की जानकारी देगा और समझने में मदद करेगा।

In this Article

प्रेगनेंसी के लक्षण कब दिखाई देते हैं (When Do Pregnancy Symptoms Appear)

प्रेग्नेंसी(Pregnancy) कन्फर्म करने के शुरुआती लक्षण आमतौर पर पीरियड्स का मिस होना या उल्टी होने एवं घबराहट और अधिक तनाव होना ये सब लक्षण से पुष्टि की जाती है। लेकिन मार्केट में भी कई तरह के प्रेगनेंसी टेस्ट किट मौजूद हैं जिनके जरिए प्रेग्नेंसी(Pregnancy) टेस्ट कन्फर्म किया जा सकता है। लेकिन हर महिला का शरीर अलग होता है, और प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन , प्रेगनेंसी के पहले लक्षण गर्भधारण के 1 से 2 हफ्ते बाद या माहवारी मिस होने के बाद दिखाई देने लगते हैं।

1. गर्भधारण के तुरंत बाद : गर्भधारण के तुरंत बाद, शरीर में हॉर्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं।

2. माहवारी मिस होने के एक से दो हफ्ते बाद : सबसे पहला और प्रमुख लक्षण माहवारी का ना आना होता है। इसके बाद अन्य लक्षण, जैसे थकान, स्तनों में बदलाव, और बार-बार पेशाब आना और आप प्रेगनेंसी टेस्ट से भी चेक कर सकते है।

3. हॉर्मोनल बदलाव : शरीर में हॉर्मोन जैसे एचसीजी (HCG) और प्रोजेस्ट्रोन का स्तर बढ़ने से ये शुरुआती लक्षण प्रकट होते हैं। जिससे मूड स्विंग्स जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

प्रेगनेंसी की शुरुआत से लेकर डिलीवरी तक का सफर गर्भस्थ शिशु के साथ साथ उनकी मां के लिए भी महत्वपूर्ण है। गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य और विकास के लिए शुरूआती सामान्य लक्षण को पहचान कर डॉक्टर से परामर्श करें और उनके दिशा-निर्देश का पालन करें। प्रेगनेंसी के कुछ सामान्य लक्षण से भी बिना टेस्ट किए प्रेगनेंसी का पता लगाया जा सकता है। पीरियड्स मिस होना, जी मिचलाना और उल्टी आना, ब्रेस्ट के आकार में बदलाव, थकान और बार-बार यूरिन आना इत्यादि प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण है। (Pregnancy Symptoms in Hindi) हालांकि में यह संकेत दिखने पर प्रेगनेंसी टेस्ट अवश्य करवाएं। हालांकि यह लक्षण किसी और वजह से भी दिख सकते हैं।

प्रेगनेंसी के शुरुआती 10 लक्षण (Early Pregnancy Symptoms in Hindi)

प्रेगनेंसी के दौरान महिलओं के शारीर में कई हार्मोनल बदलाव होते रहते हैं। Early Pregnancy Symptoms in Hindi जिसकी वजह से कई प्रेगनेंसी के कुछ शुरूआती लक्षण देखने को मिल सकते हैं। कुछ महिलाओं में प्रेगनेंसी के दौरान बहुत ज्यादा लक्षण देखने मिलते हैं जबकी कुछ महिलाओं में बहुत ही कम लक्षण देखने को मिलते हैं। तोह आइये जानते है प्रेगनेंसी के शुरुआती 10 लक्षण को अछसे से जाने

Pregnancy Symptoms
Early Pregnancy Symptoms in Hindi

1. पीरियड मिस होना

प्रेगनेंसी का सबसे पहला संकेत पीरियड का मिस होना है। हालांकि, कुछ महिलाओं में हल्की ब्लीडिंग (लाइट पीरियड्स) हो सकती है, जो सामान्य ब्लीडिंग की तुलना में बहुत कम होती है।

2. मूड में बदलाव (Mood Swings)

प्रेगनेंसी के दौरान मूड स्विंग्स होना सामान्य है, हार्मोनल बदलाव के कारण यह समस्या होती है और कुछ महिलाओं में यह पूरी प्रेगनेंसी तक बनी रहती है।

  • उदासी या गुस्सा
  • चिड़चिड़ापन

3. थकान महसूस होना (Fatigue)

प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाएं बहुत ही ज्यादा थकान महसूस करती हैं। पहले ट्रायमेस्टर से लेकर दूसरे ट्रायमेस्टर तक  थकान महसूस होना आम बात है। वैसे तो दूसरे ट्रायमेस्टर में थकान की समस्या दूर हो जाती हैं लेकिन तीसरे ट्रायमेस्टर में फिर से थकान से सामना करना पड़ सकता हैं।

4. जी मिचलाना (मॉर्निंग सिकनेस)

आधी से ज्यादा महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस होती है, जो दिन के किसी भी समय महसूस की जा सकती है।

  • कुछ महिलाओं में यह लक्षण 32वें सप्ताह के बाद दोबारा दिखाई देते हैं।
  • यह प्रेगनेंसी के 4-6 सप्ताह में शुरू होकर 12 सप्ताह तक रह सकती है।

5. चक्कर आना (Dizziness)

हार्मोनल बदलाव और ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव के कारण चक्कर आना सामान्य है।

  • बार-बार चक्कर आने या बेहोशी की स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करें।
  • यह पहले ट्राइमेस्टर में अधिक होता है।

6. बार-बार पेशाब लगना (Frequent Urination)

प्रेगनेंसी के वक्त शरीर में प्रवाही का स्तर बढ़ जाता हैं और किडनी की कार्यक्षमता में वृद्धि पाए जाती हैं। गर्भाशय में पल रहे बच्चे की वजह से ब्लैडर पर दबाव आता है। बार बार टायलेट जाना भी प्रेगनेंसी के मुख्य लक्षणों में जाना जाता है।

7. कब्ज और पाचन समस्या (Constipation and Digestion Issues)

प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं का पाचनतंत्र प्रभावित होता हैं, जिसकी वजह से कब्ज की समस्या हो सकती हैं। कई महिलाओं को इन दौरान बवासीर भी हो सकता हैं। लेकिन बच्चे के जन्म के बाद यह शिकायते भी दूर हो जाती हैं।

8. स्तनों में बदलाव (Changes in Breasts)

प्रेगनेंसी के दौरान ब्रेस्ट में सूजन आ जाती हैं। ऐसा हीं कुछ पीरियड्स शुरू होने से पहले भी देखा जाता हैं। प्रेगनेंसी के दौरान निप्पल के आसपास की त्वचा का रंग गहरा हो जाता हैं।

9. सांस लेने में तकलीफ

  • तीसरे ट्राइमेस्टर में शिशु के बढ़ते वजन के कारण सांस लेने में तकलीफ सामान्य है।
  • यदि आप अस्थमा या सांस से जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लें।

10. रक्तस्राव और ऐंठन (Bleeding and Cramping)

अगर आपको कोई और लक्षण भी दिख रहे हो तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। इतना ही नहीं अगर ब्लीडिंग हो या फिर पानी की थैली फट जाए, शरीर का तापमान ज्यादा रहता हो, गंभीर सर दर्द या फिर विज़न लोस जैसे लक्षण (pregnancy symptoms) देखने को मिले तो तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें

प्रेग्नेंसी के लक्षणों को देखते हुए प्रेग्नेंसी को कैसे कंफर्म करें

शरीर में होने वाले बदलाव से भी आप प्रेग्नेंसी के लक्षणों को पहचान सकते है, प्रेगनेंसी के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं जैसे की, पीठ दर्द, सिर दर्द, लेग क्रैम्प्स या वैरिकाज़ वेइंस, खुजली या झनझनाहट, कब्ज, योनि स्राव, मूड स्विंग्स या फिर डिप्रेशन। प्रेगनेंसी टेस्ट आप घर पर ही प्रेग्नेंसी किट के जरिए भी कर सकते हैं और हॉस्पिटल जा के ब्लड टेस्ट के जरिए भी कर सकते हैं।

1. प्रेगनेंसी किट का उपयोग करें (Using a Pregnancy Kit)

कब करें?
पीरियड मिस होने के 2-10 दिन बाद आप प्रेगनेंसी किट से टेस्ट कर सकती हैं।

कैसे करें?
सुबह के पहले यूरीन का इस्तेमाल करें।

नतीजा:
यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

2. ब्लड टेस्ट से करें पुष्टि (Confirm with Blood Test)

ब्लड टेस्ट का महत्व:
ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट से ज्यादा सटीक होता है और यह ओवुलेशन के 6-8 दिन बाद प्रेगनेंसी की पुष्टि कर सकता है।

कहां करें?
यह टेस्ट हॉस्पिटल में करवाया जाता है और इसमें थोड़ी अधिक समय लगता है।

डॉक्टर से सलाह लें:
यदि ब्लड टेस्ट पॉजिटिव हो, तो अपनी प्रेगनेंसी की देखभाल शुरू करने के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।

और ‘गुड न्यूज’ मिलने के तुरंत बाद आता है एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम और वह है अपना और अपने आने वाले बच्चे का ख्याल रखना। तो तुरंत ही संपर्क करें दिव्या वात्सल्य ममता IVF सेंटर का। जहां अनुभवी डॉक्टर्स आपके इस अहसास हो बनाएंगे और भी यादगार।

प्रेगनेंसी के लक्षण (Pregnancy Symptoms) दिखाई देते हीं प्रेगनेंसी टेस्ट करें और टेस्ट पॉजिटिव आते हीं मां और गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें।

प्रेगनेंसी की शुरुआत में इन बातों का रखें ध्यान

प्रेगनेंसी कन्फर्म के बाद में इन बातों का रखें ध्यान डॉक्टर के दिशा-निर्देश अनुसार सारा चीज करें

भारी एक्सरसाइज या वज़न उठाने से बचें।

तनाव से दूर रहें और इसके लिए नियमित रूप से योगा और ध्यान करें।

विटामिन और पोषण युक्त आहार का सेवन करें।

पेट पर दबाव न आए इसका ध्यान रखें।

अगर प्रेगनेंसी से पहले आप कोई और दवाई ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।

महीने दर महीने प्रेगनेंसी के लक्षण (Month wise Pregnancy Symptoms in Hindi)

प्रेगनेंसी कन्फर्म होने बाद हर महीना एक रोमांचक यात्रा हो सकता है, हर महीने, महिला के शरीर में कई बदलाव होते हैं, और ये बदलाव अलग-अलग लक्षणों के रूप में सामने आते हैं। आइए जानते हैं कि हर महीने प्रेगनेंसी (pregnancy symptoms in hindi) के कौन-कौन से लक्षण माहिलाओ को महसूस हो सकते हैं।

पहला महीना प्रेगनेंसी के लक्षण

पहला महीना में जी मिचलाना, मितली, स्तन में सूजन, उल्टी, थकान, मॉर्निंग सिकनेस इत्यादि जैसे लक्षण प्रेगनेंसी के पहले महीने में दिखाई देते हैं। (और पढ़ें: प्रेगनेंसी का पहला महीना — लक्षण, डाइट और सावधानियां)

दूसरा महीना प्रेगनेंसी के लक्षण

दूसरे महीने में स्वाद में बदलाव, मूड स्विंग्स जैसी समस्याएँ होती हैं, और शरीर में हॉर्मोनल बदलाव की वजह से अन्य लक्षण भी सामने आ सकते हैं।

तीसरा महीना प्रेगनेंसी के लक्षण

तीसरे महीने में शिशु का वजन बढ़ने लगता है और इसका प्रभाव मां के वजन पर भी पड़ता है। पेट का आकार भी इस महीने में बढ़ने लगता है। (और पढ़ें: प्रेगनेंसी के तीसरे महीने — लक्षण, डाइट और सावधानियां)

चौथा महीना प्रेगनेंसी के लक्षण

चौथे महीने में चेहरे पर प्रेगनेंसी का ग्लो दिखने लगता है और मां के पेट में बच्चे की हलचल को महसूस करने लगती हैं।

पांचवां महीना प्रेगनेंसी के लक्षण

पांचवां महीना में मां लगातार गर्भस्थ शिशु की मुवमेंट महसूस कर पाएंगी। शिशु के विकास की वजह से मां को थकावट भी महसूस हो सकती है।

छठा महीना प्रेगनेंसी के लक्षण

छठे महीने में सांस फूलने, चक्कर आने और कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

सातवां महीना प्रेगनेंसी के लक्षण

सातवें महीने में हाथ, पैर, और चेहरे पर सूजन आ सकती है। पेट के निचले हिस्से में दर्द भी महसूस होने लगता है।

आठवां महीना प्रेगनेंसी के लक्षण

आठवें महीने में शिशु की हलचल और बढ़ जाती है। इस महीने सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है।

नौवां महीना प्रेगनेंसी के लक्षण

नौवें महीने में कमर और पेट में दर्द, थकान, सोने में परेशानी, पेशाब रोकने में समस्या और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। (और पढ़ें: प्रेगनेंसी का नौवां महीना — लक्षण, डाइट और सावधानियां)

डॉक्टर से कब और क्यों संपर्क करें?

प्रेगनेंसी के दौरान माँ का स्वास्थ्य होना और उनके शिशु का सम्पूर्ण विकास होना सबसे महत्वपूर्ण होता है। प्रेगनेंसी में कुछ परिस्थितियाँ ऐसी भी होती हैं जब डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना काफी जरूरी होता है। आइए जानते हैं किन स्थितियों में आपको डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए:

  • अत्यधिक मितली या उल्टी होने पे
  • पेट में तेज दर्द या ऐंठनहोने पे
  • जब असामान्य रक्तस्राव हो तब
  • तेज सिरदर्द या धुंधला दिखाई दे तब
  • बच्चे की हरकतें कमी आने पर
  • जब तेज बुखार हो तब
  • जब सांस लेने में काफी तकलीफ हो तब

प्रेगनेंसी में सावधानी बरतना बहुत जरूरी है। अगर आपको कोई भी असामान्य लक्षण महसूस हो, तो डॉक्टर से संपर्क करने में देरी न करें।

शुरुआती प्रेगनेंसी के लिए स्वास्थ्यवर्धक आदतें (Healthy Habits for Early Pregnancy in Hindi)

प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में माँ को स्वास्थ्यवर्धक आदतें अपनाना चाहिए, ताकि उनके बेबी के लिए बहुत फायदेमंद हो सके । कुछ महत्वपूर्ण स्वास्थ्यवर्धक आदत हमने यहाँ शेयर किया है :

  • संतुलित आहार (Balanced Diet): प्रेगनेंसी के दौरान माँ को संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए ।
  • पर्याप्त पानी पिएं (Stay Hydrated): दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए ।
  • व्यायाम करें (Exercise Regularly): प्रेगनेंसी में हल्का व्यायाम जैसे चलना, योगा करना आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है।
  • समय पर सोएं (Get Enough Sleep): पर्याप्त नींद लेना भी आपके लिए आवश्यक है। कोशिश करें कि आप रोजाना 7-8 घंटे की नींद लें।
  • धूम्रपान और शराब से बचें (Avoid Smoking and Alcohol): धूम्रपान और शराब गर्भावस्था के दौरान खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए एस से बचे

निष्कर्ष

प्रेगनेंसी एक खूबसूरत यात्रा है, जो न केवल आपके शरीर में कई बदलाव लाती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी प्रभावित करती है। Pregnancy Symptoms in Hindi को समझना और उन पर ध्यान देना भी आवश्यक है। एक संतुलित आहार, पर्याप्त पानी, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन जैसे उपाय न केवल आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, बल्कि गर्भावस्था की चुनौतियों का सामना करने में भी मदद करते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

प्रेगनेंसी का शुरुआती लक्षण क्या होता है?

प्रेगनेंसी के पहले हफ्ते में कई महिलाओं को कुछ भी अलग महसूस नहीं होता हैं। हालांकि की कई महिलाओं में जी मिचलाना और उल्टी, बार-बार युरीन आना, सरदर्द जैसी शिकायते हो सकती हैं जो की pregnancy symptoms है।
जी मिचलाना और उल्टी आना
स्तन में दर्द और संवेदनशीलता
कब्ज और पेट फूलना
थकान और कमजोरी का बना रहना
बार-बार पेशाब आना
सिरदर्द और चक्कर आना

पीरियड आने से पहले कैसे पता करें कि हम प्रेग्नेंट है या नहीं?

ब्रेस्ट साइज में बदलाव आना, थकावट, पैरों में सूजन, उल्टी आना, स्वाद में बदलाव आना, सांस फूलना, फूड क्रेविंग, कब्ज़ जैसे लक्षण से भी प्रेगनेंसी के बारे में पता लगा सकते हैं।

प्रेग्नेंट है या नहीं कैसे पता चलता है?

पीरियड्स मिस होने के साथ साथ शरीर और भी कई संकेत देना शूरु कर देते हैं जैसे की ऐंठन, शरीर का तापमान बढ़ना, ब्रेस्ट का भारी हो जाना, थकावट, उल्टी होना आदि।

प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दिखते हैं?

प्रेगनेंसी के लक्षण 6-14 दिनों में हीं दिखने शुरू हो जाते हैं। ओव्यूलेशन के दौरान सेक्स किया जाए तो प्रेगनेंसी के चान्स बढ़ जाते हैं। फर्टिलाइजेशन के बाद भ्रम गर्भधारण की दीवार से जुड़ने लगता है और पीरियड्स के 10 दिन पहले बच्चा conceive हो जाता हैं। 

प्रेगनेंसी के लक्षण कितने दिन में दीखते है

हर महिला का शरीर अलग होता है, इसलिए लक्षण दिखने का समय भी अलग-अलग होता है।
कुछ महिलाओं को गर्भधारण के 1-2 सप्ताह के अंदर ही लक्षण दिखने लगते हैं,
जबकि कुछ महिलाओं को 4-6 सप्ताह तक का समय लग सकता है।

गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद पता चलता है

गर्भधारण के 10-14 दिन बाद मूत्र में hCG हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है,
जिसके आधार पर प्रेगनेंसी टेस्ट सकारात्मक दिखा सकता है।
हालांकि, कुछ महिलाओं को hCG हार्मोन का स्तर बढ़ने में 21 दिन तक का समय लग सकता है।

गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद उल्टी होती है

कुछ महिलाओं को गर्भधारण के 6-8 सप्ताह बाद मतली और उल्टी का अनुभव होने लगता है।
जिसे “मॉर्निंग सिकनेस” कहा जाता है।
यह हर महिला में अलग-अलग होता है,
कुछ महिलाओं को पूरे दिन मतली और उल्टी हो सकती है।

प्रेग्नेंट होने के बाद भी पीरियड आता है क्या

नहीं, प्रेग्नेंसी के दौरान पीरियड नहीं आता है।
यदि आपको रक्तस्राव हो रहा है, तो यह **गर्भपात, प्लासेंटा प्रिविया या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।
तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

पीरियड्स मिस होने के कितने दिन बाद उल्टी लगती है

कुछ महिलाओं को गर्भधारण के 6-8 सप्ताह बाद मतली और उल्टी का अनुभव होने लगता है।
यह हर महिला में अलग-अलग होता है,
कुछ महिलाओं को पूरे दिन मतली और उल्टी हो सकती है।

गर्भधारण के 48 घंटे बाद के लक्षण

गर्भधारण के 48 घंटे बाद कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।
निषेचन के बाद, भ्रूण को विकसित होने में कुछ समय लगता है।
शुरुआती लक्षण आमतौर पर मासिक धर्म के रुकने के बाद ही दिखाई देते हैं।

पीरियड मिस होने के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करे

आप मासिक धर्म की अनुमानित तारीख से एक सप्ताह बाद प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकती हैं।
हालांकि, कुछ टेस्ट पहले भी सटीक परिणाम दे सकते हैं।
यदि टेस्ट नेगेटिव आता है और आपको लगता है कि आप गर्भवती हो सकती हैं, तो कुछ दिनों बाद फिर से टेस्ट करें।

घर पर कैसे पता करे की प्रेग्नेंट है या नहीं

टेस्ट में मूत्र में hCG हार्मोन की जांच की जाती है, जो गर्भावस्था के दौरान बढ़ जाता है।
यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो डॉक्टर से पुष्टि करवाएं।

क्या सफेद पानी आना प्रेगनेंसी का लक्षण है

सफेद पानी आना प्रेगनेंसी का लक्षण नहीं है।
यह सामान्य डिस्चार्ज हो सकता है।
हालांकि, यदि डिस्चार्ज में बदलाव होता है, जैसे कि रंग, गंध, या मात्रा में वृद्धि, तो डॉक्टर से संपर्क करें।

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

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