Polyhydramnios in Hindi: पॉलीहाइड्रेमनिओस क्या है? लक्षण और इलाज
गर्भावस्था के दौरान कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, उन्हीं जटिल समस्याओं में से एक है पॉलीहाइड्रेमनिओस (Polyhydramnios in Hindi) । गर्भावस्था के दौरान शरीर में एमनियोटिक लिक्विड की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे मेडिकल की भाषा में पॉलीहाइड्रेमनिओस कहा जाता है। एमनियोटिक द्रव की नॉर्मल वैल्यू 500 से 1000 मिली के बीच होनी चाहिए, अगर इससे ज्यादा वैल्यू बढ़ जाएं तो वह समस्या का विषय बन सकता है।
यह समस्या डिलीवरी होने के समय तक सामान्य हो जाती है, लेकिन अगर ऐसा न हो तो मां और गर्भस्थ शिशु को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
पॉलीहाइड्रेमनिओस क्या है? (What is Polyhydramnios in Hindi)
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आप हमारे (Polyhydramnios in Hindi) ब्लॉग में, हम आपको अछे तरीके से समझ जायेंगे की पॉलीहाइड्रेमनिओस ऐसी मेडिकल स्थिति है, जिसमें गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे शिशु के आसपास एमनियोटिक द्रव (गर्भजल) की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है। स्थिति है जिसमें गर्भावस्था के दौरान गर्भ में शिशु के आसपास एमनियोटिक द्रव सामान्य से अधिक हो जाता है, जिससे मां और बच्चे दोनों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
पॉलीहाइड्रेमनिओस के प्रकार (Types of Polyhydramnios)
पॉलीहाइड्रेमनिओस को दो मुख्य प्रकार है :
1. तीव्र पॉलीहाइड्रेमनिओस (Acute Polyhydramnios): आमतौर पर गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में यह समस्या होती है।मां को अचानक पेट भारी लगना और सांस लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है।
2. क्रोनिक पॉलीहाइड्रेमनिओस (Chronic Polyhydramnios): यह स्थिति धीरे-धीरे और लंबे समय में विकसित होती है। ज्यादातर मामलों में इसे आसानी से संभाला जा सकता है।
एमनियोटिक द्रव कैसे बनता है और कहां से आता है?
एमनियोटिक द्रव गर्भावस्था के दौरान गर्भ में शिशु के चारों ओर स्थित तरल पदार्थ है। यह द्रव शिशु के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए जानते हैं कि यह द्रव कैसे बनता है और कहां से आता है:
* कैसे बनता है: गर्भधारण के लगभग 12 दिन बाद, यह द्रव गर्भाशय की कोशिकाओं और गर्भनाल द्वारा बनने लगता है।
* स्रोत: जैसे-जैसे शिशु बढ़ता है, वह मूत्र बनाता है, जो इस द्रव का बड़ा हिस्सा होता है। गर्भाशय की झिल्ली भी थोड़ा द्रव बनाती है।
पॉलीहाइड्रेमनिओस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Polyhydramnios in Hindi)
पॉलीहाइड्रेमनिओस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भ में एमनियोटिक द्रव की मात्रा सामान्य से अधिक होती है।आइए जानते हैं इसके मुख्य लक्षण:
- पेट में गंभीर दर्द होना, पेट में जलन होना
- पेट में जकड़न या ऐंठन
- सांस लेने में दिक्कत
- भ्रूण की गतिविधियों का धीमा होना
- बार बार युरीन आना
- अत्यधिक और तेजी से वजन बढ़ना
- पेट का आकार बढ़ना
- पैरों में सूजन आना
इन लक्षणों में से कोई भी अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। सही समय पर जांच और उपचार से पॉलीहाइड्रेमनिओस को ठीक किया जा सकता है।
पॉलीहाइड्रेमनिओस के कारण क्या हैं? (Causes of Polyhydramnios in Hindi)
पॉलीहाइड्रेमनिओस एक ऐसी स्थिति है जिसमें गर्भ में एमनियोटिक द्रव की मात्रा सामान्य से अधिक होती है। इसके कई संभावित कारण हो सकते हैं, आइए जानते हैं कुछ मुख्य कारण:
- गर्भवती होने से पहले या बाद में डायबिटीज़ की वजह से हाई ब्लड शुगर होना
- जेनेटिक विकार की वजह से भ्रूण का एमनियोटिक द्रव निगलना मुश्किल हो
- मां और गर्भस्थ बच्चे दोनों का Rh कारक भिन्न होना
- डाउन सिंड्रोम और एडवर्ड्स सिंड्रोम जैसी क्रोमोसोमल असमानताएं
- भ्रूण में संक्रमण हो
- भ्रूण में रेड ब्लड सेल्स की कमी
- एक से ज्यादा गर्भधारण (जुड़वां बच्चे)
पॉलीहाइड्रेमनिओस के जोखिम क्या हैं? (Risks of Polyhydramnios in Hindi)
गर्भाशय में अधिक एमनियोटिक द्रव बढ़ने की वजह से आसपास के अंगों पर दबाव बनता है और इसकी से गर्भावस्था संबंधी कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
- प्रीमेच्योर डिलीवरी
- गर्भस्थ शिशु के विकास में रूकावट
- मृत बच्चे का जन्म होना
- गर्भनाल का आगे खिसकना
- भ्रूण ब्रीच पुजिशन में आना
- पोस्टपार्टम हेमरेज
पॉलीहाइड्रेमनिओस का निदान कैसे करें? (How to Diagnose Polyhydramnios in Hindi)
पॉलीहाइड्रेमनिओस का निदान गर्भावस्था के दौरान सही समय पर करना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आपको इस स्थिति के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
1. डॉ से कंसल्ट : डॉक्टर सबसे पहले मां के संभावित लक्षणों की जांच करते हैं, जैसे कि पेट में भारीपन, सांस लेने में कठिनाई, या गर्भ में शिशु की गतिविधियों में बदलाव।
2. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): यह सबसे आम और प्रभावी तरीका है पॉलीहाइड्रेमनिओस के निदान के लिए।
3. एमनियोटिक फ्लूइड इंडेक्स (AFI): अल्ट्रासाउंड के दौरान, डॉक्टर एमनियोटिक फ्लूइड इंडेक्स (AFI) की माप लेते हैं।
4. डॉपलर सोनोग्राफी: कुछ मामलों में, डॉक्टर शिशु के रक्त प्रवाह की जांच करने के लिए डॉपलर सोनोग्राफी का उपयोग कर सकते हैं।
पॉलीहाइड्रेमनिओस का उपचार कैसे करें? (How to Treat Polyhydramnios in Hindi)
हल्के पॉलीहाइड्रेमनिओस की स्थिति में इलाज की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन गंभीर स्थिति में डॉक्टर आपको निम्नलिखित इलाज का सुझाव दे सकते है।
• एमनियोरिडक्शन : गर्भाशय में मौजूद अधिक एमनियोटिक द्रव को बहार निकालने के लिए इस प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।
• दवा : संकुचन को कम करने और एमनियोटिक द्रव की मात्रा को कम करने के लिए इंडोमेथेसिन (इंडोसिन) नामक दवा दी जा सकती है।
• डिलीवरी के लिए कहा जा सकता है : अगर हल्के या मध्यम पॉलीहाइड्रेमनिओस हो तो डॉक्टर आपको 39 या 40 सप्ताह में डिलीवरी की सिफारिश की जा सकती है।
पॉलीहाइड्रेमनिओस के जोखिम को कैसे कम करें? (How to Reduce the Risks of Polyhydramnios in Hindi)
पॉलीहाइड्रेमनिओस, जो गर्भ में एमनियोटिक द्रव की अधिकता को दर्शाता है, हालांकि इसके जोखिम को कम करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- धूम्रपान और एल्कोहल से बचें
- फल, सब्जियां, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद का अधिकतम सेवन करें
- फोलिक एसिड का सेवन करें
- ब्लड शुगर को नियंत्रित करें
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निष्कर्ष
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है, उसमें से एक है पॉलीहाइड्रेमनिओस (Polyhydramnios in Hindi) गर्भावस्था में एमनियोटिक द्रव गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है लेकिन अगर गर्भावस्था के दौरान एमनियोटिक द्रव की मात्रा अधिक हो जाती है तो वह सिर्फ बच्चे के लिए हीं नहीं बल्कि मां के लिए भी कई समस्या का कारण बन सकता है। यदि आप पटना में सर्वश्रेष्ठ IVF केंद्र की तलाश में हैं, तो दिव्य वात्सल्य ममता आईवीएफ पटना के सर्वश्रेष्ठ प्रजनन केंद्रों में से एक है जो किफायती मूल्य पर आईवीएफ, आईयूआई, पुरुष बांझपन और महिला बांझपन उपचार प्रदान करता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
पॉलीहाइड्रेमिनोस के लक्षण क्या है ?
पॉलीहाइड्रेमनिओस के लक्षण अलग अलग हो सकते हैं लेकिन आमतौर पर पेट में गंभीर दर्द होना, पेट में जलन होना, पेट में जकड़न या ऐंठन, सांस लेने में दिक्कत, भ्रूण की गतिविधियों का धीमा होना, बार बार युरीन आना, अत्यधिक और तेजी से वजन बढ़ना, पेट का आकार बढ़ना, पैरों में सूजन आना पॉलीहाइड्रेमनिओस के संकेत हो सकते हैं।
पॉलीहाइड्रमनिओस का इलाज क्या है?
गर्भाशय में मौजूद अधिक एमनियोटिक द्रव को बहार निकालने के लिए एमनियोरिडक्शन प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है, या फिर इंडोमेथेसिन (इंडोसिन) नामक दवा दी जा सकती है और अगर हल्के या मध्यम पॉलीहाइड्रेमनिओस हो तो डॉक्टर आपको 39 या 40 सप्ताह में डिलीवरी की सिफारिश की जा सकती है।
एमनियोटिक द्रव की नॉर्मल वैल्यू कितनी होती है?
एमनियोटिक द्रव की नॉर्मल वैल्यू 500 से 1000 मिली के बीच होनी चाहिए, अगर इससे ज्यादा वैल्यू बढ़ जाएं तो वह समस्या का विषय बन सकता है। ऐसी परिस्थिति में तुरंत हीं डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
क्या मैं पॉलीहाइड्रेमनिओस को रोक सकती हूँ?
अगर आपको गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज़ का निदान किया गया है या गर्भावस्था से पहले आपको डायबिटीज़ हो तो आप अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित करने की सावधानी बरत सकते हैं लेकिन पॉलीहाइड्रेमनिओस को रोकना संभव नहीं है।
यदि बच्चा जन्म के दौरान एमनियोटिक द्रव पीता है तो क्या होता है?
जब बच्चा एमनियोटिक द्रव निगलता है तो मेकोनियम बनता है। आंतो में गुजरते हीं एमनियोटिक द्रव का पानी अवशोषित हो जाता है
पॉलीहाइड्रेमनिओस का पता कब चलता है?
पॉलीहाइड्रेमनिओस का निदान अल्ट्रासाउंड के जरिए किया जाता है। इसके अलावा ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट, एमनियोसेंटेसिस, बायोफिजिकल प्रोफाइल, नॉनस्ट्रेस टेस्ट के जरिए पॉलीहाइड्रेमनिओस का पता लगाया जा सकता है।
पॉलीहाइड्रेमनिओस की वजह से किस तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है?
अधिक पॉलीहाइड्रेमनिओस की स्थिति में प्रीमेच्योर डिलीवरी, गर्भस्थ शिशु के विकास में रूकावट, मृत बच्चे का जन्म होना, गर्भनाल का आगे खिसकना, भ्रूण ब्रीच पुजिशन में आना, पोस्टपार्टम हेमरेज जैसी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।