PCOD in Hindi: पीसीओडी के कारण, लक्षण और असरदार उपचार जानें
PCOD का मतलब “पॉलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम” होता है, जिसमें महिलाओं के अंडाशय में छोटी-छोटी गांठें बनने लगती हैं और इस स्थिति में हार्मोन का असंतुलन होने लगता है, ये अनियमित मासिक धर्म के कारण होता है। पीसीओडी में प्रेगनेंसी हासिल करना एक महिला के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है। लंबे समय तक मासिक धर्म, शरीर पर अत्यधिक बाल, मुँहासे और बाल झड़ने लगते हैं। PCOD in Hindi जानने के लिए हमारा ब्लॉग पढ़ें।
पीसीओडी क्या है? (What is PCOD in Hindi)
In this Article
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी) महिलाओं को प्रभावित करने वाली एक कॉमन समस्या है, जिसमें महिलाओं के अंडाणु में सामान्य से अधिक संख्या में छोटे गर्भाशय बन जाते हैं। जिसकी वजह से हार्मोन के असंतुलन की समस्या शूरू हो जाती हैं, नतीजा शरीर में काफी हार्मोनल चैंजिस आते हैं और पीरियड्स भी अनियमित हो जाते हैं। साथ ही में दूसरी बीमारियां होने की संभावना भी बढ़ जाती हैं। PCOD की वजह से महिलाओं को बच्चा कन्सीव करने में भी दिक्कत आती हैं।
आप हमारे (PCOD in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे की मासिक धर्म क्या है? लक्षण और असरदार उपचार जानकारी इस बारे में बहुत ही विस्तार से बताने वाले हैं।
पीसीओडी के कारण (Causes of PCOD in Hindi)
आजकल की बदलती लाइफ़स्टाइल के चलते PCOD की बीमारी तेजी से बढ़ रही हैं। वर्क फ्रॉम होम, जिसकी वजह से फिजिकल एक्टिविटी न के बराबर हो गई है। बढ़ते तनाव की वजह से बायोलॉजिकल क्लॉक डिस्टर्ब हो गई हैं, जिसकी वजह से PCOD की शिकायत हो सकती हैं। की और भी कारण इसके लिए जिम्मेदार हैं, जैसे की,
– अस्वस्थ जीवनशैली
– भोजन में पोषक तत्वों की कमी होना
– फिजिकल एक्टिविटी की कमी
– आनुवंशिक कारण
– शराब और सिगरेट का सेवन करना
– शरीर में इन्सुलिन की अधिक मात्रा होना
पीसीओडी के लक्षण (Symptoms PCOD in Hindi)
PCOD से पीड़ित 70% महिलाओं को पता हीं नहीं होता कि उन्हें PCOD हैं। किसी भी महिला को PCOD हैं या नहीं यह जानने के लिए सबसे पहले उनके लक्षणों को पहचानना जरूरी है। पीसीओडी के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
– चेहरे, पीठ, पेट और छाती पर घने बाल उगना
– पीरियड्स के वक्त बहुत दर्द होना, ज्यादा ब्लीडिंग होना
– पीरियड्स का बिल्कुल हीं बंद हो जाना
– वज़न तेजी से बढ़ना
– बच्चा कन्सीव करने में समस्या
– बालों का पतला होना और झड़ना
– चेहरे, छाती और पीठ पर एक्ने
– त्वचा पर काले धब्बें
– इनफर्टिलिटी
– सरदर्द, पेल्विक दर्द, थकान, निंद न आना
यदि आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखे, तो आपको अपने डॉक्टर से जरुर बात करनी चाहिए।
पीसीओडी का उपचार (Treatment of PCOD in Hindi)
पीसीओडी में आप नियमित व्यायाम, लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ साथ कुछ घरेलू उपचार भी कर सकते हैं जैसे की,
- एपल विनेगर : एपल विनेगर हार्मोन को संतुलित रखने में मदद करता है। इतना ही नहीं यह इंसुलिन को भी नियंत्रित करता है और वज़न को भी नियंत्रित रखता हैं।
- दालचीनी : PCOD के कई लक्षणो के लिए दालचीनी कारगर है। यह मेंस्ट्रुअल सायकल में सुधार लाती हैं। इतना ही नहीं यह इंसुलिन और वज़न को भी संतुलित करता है।
- मेथी : PCOD में वज़न तेजी से बढ़ता हैं ऐसे में मेथी का सेवन लाभकारी होता हैं। मेथी शरीर में ग्लूकोज के चयापचय को बढ़ावा देने और इंसुलिन को बढ़ने से रोकती हैं।
- अलसी : अलसी के बीज में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता हैं। यह एस्ट्रोजन हार्मोन के उत्पादन को रोकता है। इसलिए PCOD इसका सेवन बेहद फायदेमंद होता हैं।
पीसीओडी से बचाव (Prevention of PCOD in Hindi)
PCOD हार्मोन में असंतुलन की वजह से होता हैं और उसका मुख्य कारण है बदलती लाइफ़स्टाइल। तो आप रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ सामान्य बदलाव लाकर भी इस समस्या से राहत पा सकते हैं।
– नियमित व्यायाम करना (कम से कम 15 मिनट)
– वज़न को संतुलित रखें
– जंक फूड से दूर रहें
– लाइफस्टाइल को सहीं रखें
– सिगरेट और शराब के सेवन दूर रहें
– कार्बोहाइड्रेट के सेवन से बचें
– अच्छी नींद लें (कम से कम 8 घंटे)
पीसीओडी की जटिलताएं (Complications of PCOD in Hindi)
PCOD में अनियमित पीरियड्स, वज़न बढ़ने के साथ साथ कई और जटिलता का सामना भी करना पड़ सकता हैं। जैसे की…
– डायबिटीज़
– हार्ट डिजिज
– तनाव
– इनफर्टिलिटी
– एंडोमेट्रियल कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर
– मिसकैरेज या फिर प्रीमेच्योर डिलीवरी
– डायबिटीज़
– लीवर पर सूजन
– गर्भाशय से असामान्य रक्तस्राव
– खराब मेटाबॉलिज्म
– सोते समय सांस लेने में दिक्कत
पीसीओडी में प्रेग्नेंसी के लिए IVF एक अच्छा विकल्प
जिस महिला को PCOD हैं, लेकिन वह गर्भधारण करना चाहती हैं तो उनके लिए IVF श्रेष्ठ विकल्प है। IVF ट्रीटमेंट के जरिए गर्भधारण करने की संभावना 70% बढ़ जाती हैं। गर्भधारण के बाद सक्सेसफुल डिलीवरी की संभावना 60% बढ़ जाती हैं। जिस महिला को PCOD हैं उन्हें इनके बारें में ज्यादा जानकारी के लिए IVF स्पेशलिस्ट डॉ रश्मि प्रसाद से संपर्क करना चाहिए। अगर आप भी इसके बारें में ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आज ही संपर्क करें दिव्या वात्सल्य ममता IVF सेंटर का, जहां आपको अनुभवी डॉक्टर्स और स्टाफ देंगे सहीं मार्गदर्शन।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
पीसीओएस और पीसीओडी अंतर
बहुत सी महिलाएं PCOD और PCOD को एक ही समझती है लेकिन यह दोनों अलग हैं।
PCOS: PCOS मतलब पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जिसमें मेटाबॉलिक और हार्मोनल असंतुलन होता हैं। PCOS होने की संभावना उन लड़कियों में ज्यादा होती हैं जिन्हें लंबे समय तक पीरियड्स नहीं आते। यह समस्या जिनेटिक भी हो सकती हैं।
PCOD: PCOS एक आम समस्या है जबकी PCOD एक गंभीर स्थिति है। PCOD को आप अपनी लाइफस्टाइल को बदलकर ठीक कर सकते हैं लेकिन PCOS में लाइफस्टाइल के साथ साथ दवाइयों की भी जरूरत पड़ती हैं।
क्या पीसीओडी का इलाज संभव है?
PCOD में आप डॉक्टर की सलाह लेकर कुछ दवाइयां या फिर अपनी लाइफस्टाइल बदलकर इस समस्या को दूर कर सकते हैं। फिजिकल एक्टिविटी के जरिए अपने वज़न को संतुलित कर सकते हहैं फाइबर, विटामिन ई, ओमेगा 3 और 6 जैसी दवाएं भी डॉक्टर से परामर्श करके ले सकते हैं।
क्या पीसीओडी में प्रेग्नेंट हो सकते हैं?
PCOD हार्मोन के असंतुलन की वजह से होती है इसलिए PCOD में गर्भधारण करना थोड़ा मुश्किल होता हैं लेकिन नामुमकिन भी नहीं। PCOD में भी आप प्रेंग्नेंट हो सकते हैं। इसके लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें और उनका मार्गदर्शन ले।
PCOD में क्या नहीं खाना चाहिए?
PCOD में आलू, ब्रैड, चावल, रेड मीट, प्रोसेस्ड फूड जैसे की पास्ता, सफेद आट्टा, मैदा, सूजी, मिठाई, चॉकलेट, सॉफ्ट ड्रिंक जैसी चीजों से दूर रहें। तम्बाकू, गुटखा के सेवन से दूर रहें। तेल मसाले वाले खाने से भी दूर रहें, यह फूड आपके वज़न को और भी ज्यादा बढ़ा सकता हैं।
जबकी मछली, मांस, अंडे और वेजिटेबल्स का ज्यादा सेवन करें। दिन में कम से कम 30 ग्राम फाइबर का सेवन जरूर करे। अपने रेग्युलर फूड में फ्रुट्स को भी शामिल करें। फूलगोभी, पालक, ब्रोकोली, दहीं और दलिया खाएं। बादाम, अखरोट खाएं। दिन में तीन बार की जगह थोड़ा थोड़ा बार खाना खाएं।
पीसीओडी की समस्या क्यों आती है?
PCOD की समस्या गलत लाइफस्टाइल और हार्मोन में असंतुलन की वजह से होती हैं। वज़न बढ़ना, अनियमित पीरियड्स यह सभी इसके मुख्य लक्षण हैं। आम तौर पर लाइफस्टाइल में बदलाव लाकर भी इस समस्या को दूर कर सकते हैं, हालांकि डॉक्टर का संपर्क जरूरी होता हैं।
पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है?
यह कहना मुश्किल है कि पीसीओडी कितने दिन में ठीक होता है क्योंकि यह हर महिला के शरीर और स्थिति पर निर्भर करता है।
कुछ महिलाओं में, लक्षणों में सुधार कुछ हफ्तों या महीनों में देखा जा सकता है, खासकर अगर वे जीवनशैली में बदलाव करती हैं जैसे कि वजन कम करना, व्यायाम करना और स्वस्थ आहार लेना।
अन्य महिलाओं को दवाओं या अन्य उपचारों की आवश्यकता हो सकती है, और उन्हें लक्षणों में सुधार देखने में अधिक समय लग सकता है।
कुछ महिलाओं में, पीसीओडी एक पुरनी स्थिति हो सकती है जिसे प्रबंधित करने की आवश्यकता होती है।
पीसीओडी में प्रेगनेंसी के लक्षण
पीसीओडी वाली महिलाओं में गर्भावस्था के लक्षण अन्य महिलाओं की तरह ही हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
मासिक धर्म रुकना
थकान
मतली
स्तन की सूजन
बार-बार पेशाब आना
हालांकि, पीसीओडी वाली महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म या ओव्यूलेशन की कमी के कारण गर्भवती होने में कठिनाई हो सकती है।
पीसीओडी का घरेलू उपचार
पीसीओडी के लक्षणों को कम करने में मदद करने के लिए आप कुछ घरेलू उपाय कर सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
वजन कम करना: यदि आप अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं, तो 5-10% वजन कम करने से आपके लक्षणों में सुधार हो सकता है।
नियमित व्यायाम: सप्ताह में कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाला व्यायाम करें।
स्वस्थ आहार: फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दुबला प्रोटीन खाएं। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, चीनी और असंतृप्त वसा से बचें।
तनाव कम करें: योग, ध्यान या गहरी सांस लेने जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों का अभ्यास करें।
पर्याप्त नींद लें: हर रात 7-8 घंटे की नींद लें।
पीसीओडी में प्रेगनेंसी हो सकती है
पीसीओडी वाली महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं, लेकिन उन्हें अक्सर थोड़ी अधिक मदद की आवश्यकता होती है।
ओवुलेशन इंडक्शन दवाएं: ये दवाएं अंडाशय को अंडे छोड़ने में मदद करती हैं।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ): यह एक प्रक्रिया है जिसमें अंडे और शुक्राणु को प्रयोगशाला में मिलाया जाता है और फिर गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
पीसीओडी में पीरियड कैसे लाए
यदि आपको पीसीओडी के कारण अनियमित या अनुपस्थित मासिक धर्म होता है, तो आप अपने डॉक्टर से निम्नलिखित के बारे में बात कर सकती हैं:
हार्मोनल गर्भनिरोधक: ये दवाएं मासिक धर्म को नियमित करने में मदद कर सकती हैं।
प्रोजेस्टेरोन थेरेपी: यह थेरेपी आपके अस्तर को मोटा करने और मासिक धर्म शुरू करने में मदद कर सकती है।
मेटफॉर्मिन: यह दवा इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने में मदद कर सकती है, जो पीसीओडी में एक योगदान कारक हो सकता है।