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Morning Sickness Meaning in Hindi: मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण और उपचार

मॉर्निंग सिकनेस प्रेगनेंट महिलाओं के लिए एक आम अनुभव है, जिसमें मतली और उल्टी (Vomiting During Pregnancy) जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता है। अक्सर पहली तिमाही के दौरान मॉर्निंग सिकनेस (Morning Sickness Meaning in Hindi) होना आम बात है। मॉर्निंग में शुरू होने वाली यह समस्या कभी कभी पूरे दिन तक चल सकती है। वैसे तो मॉर्निंग सिकनेस होना स्वस्थ प्रैगनेंसी का संकेत है।

लगभग 80% महिलाएं मॉर्निंग सिकनेस से गुजरती है। प्रैगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस होना आम बात है फिर यह काफी असुविधाजनक और थकावट भरा होता है। मॉर्निंग सिकनेस का कोई सटीक कारण तो नहीं है लेकिन हार्मोनल बदलाव, तनाव और कुछ गंध के प्रति संवेदनशीलता होना मॉर्निंग सिकनेस को बढ़ावा देता है।

मॉर्निंग सिकनेस (Morning Sickness Relief) की स्थिति में थोड़ा थोड़ा खाना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, आराम करने से राहत मिलती है। मॉर्निंग सिकनेस प्रैगनेंसी के 12 से 16 सप्ताह तक रहती है। हालांकि मतली और उल्टी ज्यादा हो रही हो तो डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।

मॉर्निंग सिकनेस क्या है? (Morning Sickness Meaning in Hindi)

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मॉर्निंग सिकनेस होना प्रेगनेंसी में आम बात है। प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में मतली और उल्टी की समस्या अधिकांश महिलाओं में देखी जाती है। इसका नाम भले हीं ‘मॉर्निग’ सिकनेस हो लेकिन इसका असर दिन में कभी भी देखने को मिल सकता है। यह असुविधाजनक होता है लेकिन गर्भस्थ शिशु और मां के स्वास्थ्य पर इससे कोई नुक्सान नहीं होता है।

कुछ महिलाओं को खाने के बाद मतली महसूस हो सकती है। गंभीर मतली और उल्टी होने पर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। अगर महिला को खाने-पीने में दिक्कत, वजन कम हो रहा हो या बहुत ही ज्यादा कमजोरी महसूस हो रही हो, तो यह चिंता का विषय हो सकता है।

मॉर्निंग सिकनेस के सामान्य लक्षण (Common Symptoms of Morning Sickness in Hindi)

मॉर्निंग सिकनेस गर्भावस्था का आम लक्षण है। यह पहली तिमाही से लेकर गर्भावस्था के अंत तक हो सकता है। इसके प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • मतली (Nausea)
  • उल्टी (Vomiting)
  • चक्कर आना (Dizziness)
  • भूख न लगना (Loss of Appetite)
  • थकान और कमजोरी (Fatigue & Weakness)
  • गंध के प्रति संवेदनशीलता (Sensitivity to Smells)

मॉर्निंग सिकनेस कब शुरू होती है? (When Does Morning Sickness Start)

मॉर्निंग सिकनेस की गंभीरता और अवधि अलग-अलग होती है। इसकी शुरुआत आमतौर पर प्रेगनेंसी के छठे सप्ताह के आसपास होती है, हालांकि कुछ महिलाओं में इसकी शुरुआत चौथे या पांचवें सप्ताह से हो जाती है। जब प्रेगनेंसी हार्मोन उच्चतम स्तर पर होते हैं तब मॉर्निंग सिकनेस की समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है, जिसका समय 8 से 10 सप्ताह के बीच में होता है।

कुछ महिलाओं को हल्की मतली हो सकती है, जबकि कुछ महिलाओं को बार-बार उल्टी का अनुभव हो सकता है। मुख्य रूप से HCG (Human Chorionic Gonadotropin) और एस्ट्रोजन के लेवल में वृद्धि, गंध के प्रति संवेदनशीलता के कारण होता है।

मॉर्निंग सिकनेस क्यों होती है? (Causes of Morning Sickness in Hindi)

मॉर्निंग सिकनेस प्रेगनेंसी का एक बहुत ही आम लक्षण है। इसका सटीक कारण तो आज तक सामने नहीं आ पाया लेकिन कुछ कारक ऐसे हैं जिसकी वजह से मॉर्निंग सिकनेस हो सकती है।

1. हार्मोनल बदलाव

प्रेगनेंसी के दौरान HCG और एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। इन हार्मोनल बदलाव की वजह से पाचन तंत्र प्रभावित होता है और इसकी वजह से मतली की समस्या होती है।

2. गंध के प्रति संवेदनशीलता

गर्भवती महिला गंध के प्रति संवेदनशील हो जाती है। खाद्य पदार्थ, परफ्यूम, धुआं या केमिकल की गंध की वजह से मतली और उल्टी की समस्या हो सकती है।

3. पाचन तंत्र में बदलाव

प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन की वजह से पाचन की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। जिसकी वजह से पेट फूलना, एसीडिटी और मतली हो सकती है।

4. लो ब्लड सुगर

प्रेगनेंसी की वजह से शरीर की एनर्जी ज्यादा इस्तेमाल होती है। यदी कोई महिला नियमित रूप से खाना नहीं खाती है तो ब्लड सुगर का लेवल गिर जाता है। जिसकी वजह से मतली और कमजोरी होती है।

5. तनाव और थकान

भावनात्मक और शारीरिक तनाव मॉर्निंग सिकनेस को बदतर बना सकता है। थकान की वजह से भी मतली की समस्या गंभीर हो सकती है।

मॉर्निंग सिकनेस का इलाज (Treatment for Morning Sickness in Hindi)

मॉर्निंग सिकनेस को जीवनशैली में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है।

1. थोड़ा थोड़ा खाएं

खाली पेट से मतली (How to stop nausea) और भी गंभीर हो सकती है। टोस्ट, केले जैसा हल्का नाश्ता करें और थोड़े-थोड़े अंतराल में कुछ न कुछ खाते रहे।

2. पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ ले

पर्याप्त मात्रा में पानी, हर्बल चाय, नारियल पानी जैसे तरल पदार्थ लेते रहे, जिससे उल्टी की वजह से डिहाइड्रेशन होने से बचा जा सके।

3. तेज गंध से दूर रहें

तेज गंध फैलाने वाले मसाले, तेल, खाद्य पदार्थ से दूर रहें, जो मतली की वजह बन सकते हैं। पचाने में आसान हो वैसे ही भोजन करें।

4. अदरक और नींबू

ग्रीन टी, अदरक, नींबू पानी जैसे प्राकृतिक उपचार करें जो मतली की समस्या में राहत देते हैं।

डॉक्टर मतली की समस्या दूर करने के लिए विटामिन B6 की दवाएं दे सकते हैं। इसके अलावा तनाव और थकान से दूर रहने के लिए पर्याप्त आराम करें।

मॉर्निंग सिकनेस से कैसे बचें? (Tips to Prevent Morning Sickness in Hindi)

मॉर्निंग सिकनेस को रोक पाना वैसे तो संभव नहीं है, हालांकि की इसके लक्षण की तीव्रता को निम्नलिखित उपचार से कम किया जा सकता है।

1. सुबह उठते ही नाश्ता करें

सुबह उठते ही टोस्ट, केला, सेब जैसा हल्का नाश्ता करें। जो ब्लड सुगर को नियंत्रित करता है और मतली को रोकने में मदद करता है।

2. खानें के बाद लेटने से बचें

खाना खाने के तुरंत बाद लेट जाने से पाचन की गति धीमी हो जाती है और मतली की समस्या गंभीर हो जाती है। खाना खाने के बाद 30 मिनट तक लेटने से बचें।

3. ढीले और आरामदायक कपड़े पहने

पेट के आसपास तंग कपड़े पहनने से मतली बढ़ सकती है। इसलिए ढीले और आरामदायक कपड़े हीं पहने।

4. प्रोटीन से भरपूर आहार लें

दहीं, बादाम, अंडे और चीज जैसे प्रोटीन से भरपूर आहार लें, जो मतली को रोकता है।

निष्कर्ष

मॉर्निंग सिकनेस (Morning Sickness Meaning in Hindi) प्रेगनेंसी का एक सामान्य लक्षण है, जिससे कई महिलाएं प्रभावित होती है, खासकर पहली तिमाही के दौरान। यह असुविधाजनक होने के बावजूद भी हानिरहित होता है, इससे गर्भस्थ शिशु या मां को कोई भी नुकसान नहीं होता है। वैसे तो मॉर्निंग सिकनेस स्वस्थ प्रेगनेंसी का एक लक्षण है। हालांकि कुछ महिलाओं में मॉर्निंग सिकनेस सुबह से लेकर शाम तक जारी रहता है। प्रेगनेंसी के 12वें या 16वें सप्ताह तक इसमें सुधार होता है। जीवनशैली में बदलाव जैसे कि थोड़े थोड़े अंतराल में भोजन लेना, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना, आराम करना और तेज गंध से बचें।

इसके साथ ही अदरक, नींबू पानी, विटामिन बी6 जैसे प्राकृतिक उपचार भी मॉर्निंग सिकनेस में राहत दे सकते हैं। हालांकि मॉर्निंग सिकनेस गंभीर होने पर डिहाइड्रेशन और वज़न कम जैसी समस्याएं हो सकती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर से तुरंत हीं परामर्श करें। अगर लक्षण गंभीर हो तो डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। सही उपचार से इसके लक्षण को कम किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट Diwya Vatsalya Mamta IVF पर विजिट कर डॉ रश्मि प्रसाद से कम्पलीट इनफार्मेशन जाने

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

गर्भ ठहरने के कितने दिन बाद उल्टी होती है?

गर्भ ठहरने के 5 से 6 सप्ताह में उल्टी और मतली की समस्या शुरू हो जाती है। हालांकि शुरुआत में गर्भवती महिला को थकावट भी महसूस हो सकती है।

एक सप्ताह की प्रेगनेंसी में क्या लक्षण देखने को मिल सकते हैं?

एक सप्ताह की प्रेगनेंसी में स्तन बड़े और उनमें कसाव का अनुभव हो सकता है। पीरियड्स से पहले स्तनों में जो बदलाव देखने मिलते हैं वैसे ही प्रेगनेंसी के पहले सप्ताह में देखने मिल सकते हैं।

मॉर्निंग सिकनेस को कैसे रोकें?

पचाने में आसान हो वैसे खाद्य पदार्थ जैसे कि केले, चावल, टोस्ट सेब का सेवन करें। थोड़े थोड़े समय में कुछ खाते रहिये और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

प्रेगनेंसी में सुबह-सुबह उल्टी क्यों होती है?

प्रेगनेंसी में सुबह में मतली और उल्टी होना आम बात है। इस दौरान हार्मोनल परिवर्तन की वजह से सुबह में उल्टी होना सामान्य है।

मॉर्निंग सिकनेस कब बंद हो जाती है?

मॉर्निंग सिकनेस प्रेगनेंसी के पहले तिमाही से शुरू होती है और तीसरे या चौथे महीने तक जारी रहती है। कुछ महिलाओं में तो यह पूरी गर्भावस्था के दौरान जारी रहती है।

गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस सामान्य है या चिंता का विषय?

मॉर्निंग सिकनेस से मां और गर्भस्थ शिशु को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि वजन कम हो जाए या फिर गंभीर मतली और उल्टी होने पर तुरंत हीं डॉक्टर से संपर्क करें

मॉर्निंग सिकनेस ना हो तो क्या होता है?

प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक मॉर्निंग सिकनेस भी है। ऐसे में अगर आपको मॉर्निंग सिकनेस नहीं हो रही हो तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। कई महिलाओं को पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस नहीं होती है। ऐसे में आप HCG टेस्ट करवा सकते हैं।

मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए क्या करें?

मतली पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ और गंध से दूर रहें, पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और आराम करें।

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

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