Laparoscopic Surgery in Hindi: लप्रोस्कोपिक सर्जरी क्या? इसके फायदे
लेप्रोस्कोपी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें सर्जन बिना कोई बड़ा चीरा लगाएं आपके आंतरिक अंगों की जांच कर सकते हैं। लेप्रोस्कोपी (Laparoscopic Surgery in Hindi) के उपयोग से इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इस सर्जरी का उपयोग कर एपेंडिसाइटिस, पेल्विक सूजन की वजह, एंडोमेट्रियोसिस और लिवर कैंसर और ओवेरियन कैंसर जैसे कैंसर का निदान करने के लिए किया जाता है। कई सामान्य सर्जिकल उपचार लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से किए जा सकते हैं।
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लप्रोस्कोपिक सर्जरी क्या है? (Laparoscopic Surgery in Hindi)
लेप्रोस्कोपी डायगोनोस्टिक एवं सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें छोटे-छोटे चीरे लगाए जाते हैं, जिसके जरिए हर्ट, पित्ताशय, फेफड़े , किडनी , अपेंडिक्स, हर्निया समस्याओं को लेप्रोस्कोपी की मदद से निदान और ऑपरेशन किया जाता है।
लेप्रोस्कोपी में एक पतली लाइट वाली ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें कैमरा लगा हुआ होता है। इस ट्यूब को लेप्रोस्कोप कहा जाता है। पेट में एक छोटे से चीरे के जरिए इसे अंदर डाला जाता है। कैमरे के जरिए आंतरिक ओर्गन को कंप्यूटर स्क्रीन पर देखा जा सकता है। लैप्रोस्कोपी का फायदा यह है कि इसमें बहुत ही छोटा सा चीरा लगाया जाता है।
लेप्रोस्कोपी बहुत कम समय में हो जाती है और इसमें ओपन सर्जरी की तुलना में रिकवरी तेजी से होती है। बायोप्सी के लिए एक छोटा सा टिशू का सैंपल लेने के लिए भी लेप्रोस्कोपी का उपयोग किया जा सकता है।
आप हमारे (Laparoscopic Surgery in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे लप्रोस्कोपिक सर्जरी क्या है? जानकारी उपचार इस बारे में बहुत ही विस्तार से बताने वाले हैं।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी क्यों की जाती है? (Purpose of Laparoscopic Surgery in Hindi)
लेप्रोस्कोपी का उपयोग पेट और पेल्विक क्षेत्र कई जांच करने के लिए किया जाता है। निम्नलिखित कारणों की वजह से डॉक्टर लेप्रोस्कोपी की सलाह दे सकते है।
1. पेट या पेल्विक एरिया में किसी असामान्य स्थिति में ट्यूमर की जांच करने के लिए लेप्रोस्कोपी की जा सकती है।
2. गर्भधारण करने में दिक्कत पैदा करने वाली सिस्ट, फाइब्रॉयडस या संक्रमण जैसी स्थिति का निदान करने के लिए।
3. अंदरुनी अंगों में क्षति की जांच करने के लिए, हाइटल हर्निया या इंग्विनल हर्निया का उपचार करने के लिए।
4. एंडोमेट्रियोसिस, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी या फिर पेल्विक सूजन की वजह जानने के लिए और उसका उपचार करने के लिए लेप्रोस्कोपी सर्जरी का उपयोग किया जाता है।
5. गर्भाशय, गॉलब्लैडर, अपेंडिक्स, ओवरी जैसे ओर्गन को हटाने के लिए भी लेप्रोस्कोपी की प्रोसिजर की जाती है।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी से पहले की तैयारी (Preparation Tips for Laparoscopic Surgery in Hindi)
• लेप्रोस्कोपी सर्जरी से पहले डॉक्टर अपने मरीज को शारीरिक और मानसिक रूप से सर्जरी के लिए तैयार करते हैं। अगर आप किसी मेडिकल परिस्थिति का सामना कर रहे हो तो उसके बारे में डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।
• अगर आप किसी भी तरह की दवाइयां ले रहे हो तो उसके बारे में भी डॉक्टर से परामर्श करें। अगर आपको किसी भी तरह की कोई एलर्जी है तो उसके बारे में भी डॉक्टर से बात करें।
• लेप्रोस्कोपी के एक सप्ताह पहले डॉक्टर मरीज को खानपान और लाइफस्टाइल में बदलाव लाने के लिए कह सकते हैं।
• पहले से चल रही कुछ दवाइयां जैसे कि थक्का-रोधी दवा, एस्पिरिन या आइबुप्रोफेन जैसी नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स, विटामिन K आदि कुछ समय के लिए बंद करने के लिए कह सकते हैं।
• सिगरेट या आल्कोहोल का सेवन बंद करने के लिए कह सकते हैं।
• सर्जरी से पहले मरीज को अपने कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मा, सोने-चांदी के गहनों को उतारने के लिए कहा जाता है।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद क्या करना चाहिए (What to Do After Laparoscopic Surgery in Hindi)
लेप्रोस्कोपी सर्जरी के बाद लेप्रोस्कोप मरीज के शरीर से सुरक्षित बहार निकाल दिया जाता है। इसके बाद चीरा को टांकों या सर्जिकल बैंडेज से बंद कर दिया जाता है। सर्जरी के बाद जल्द रिकवरी के लिए डॉक्टर के निर्देशो का पालन करें।
• सर्जरी खत्म होने के बाद डॉक्टर कुछ घंटों तक मरीज को अपनी निगरानी में रखते है। इस दौरान मरीज के दिल की धड़कन, सांस लेने की क्षमता, एनेस्थीसिया का असर इत्यादि की ध्यान से जांच की जाती है। चीरें से अधिक समय तक खून निकलने जैसी समस्या की भी जांच कर सकते हैं।
• कुछ मामलों में मरीज को रातभर अस्पताल में निगरानी में रखा जाता है।
• शारीरिक स्वास्थ्य की स्थिति, सर्जरी के बाद शरीर का रिएक्शन आदि को ध्यान में रखते हुए मरीज को घर जाने के लिए कहा जा सकता है।
• सर्जरी वाले हिस्से को साफ और सुखा रखें। ज्यादा सूजन या ब्लीडिंग शुरू होने पर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी के क्या जोखिम होते हैं (Risks of Laparoscopic Surgery in Hindi)
लेप्रोस्कोपी सर्जरी के की फायदे होने के साथ साथ उसमें कुछ जोखिम भी शामिल हैं, जो कि निम्नलिखित है।
• कभी कभी सर्जरी के बाद संक्रमण भी हो सकता है। इसीलिए सर्जरी के बाद डॉक्टर के निर्देशो को सहीं से पालन करें।
• चीरा वाले हिस्से पर जलन या सूजन या फिर ब्लीडिंग होना।
• मतली या उल्टी होना, थकावट
• सर्जरी के दौरान अंदरुनी अंग का क्षतिग्रस्त होना, जिसकी वजह से अधिक ब्लीडिंग होने की संभावना बढ़ जाती है और उसे ठीक करने के लिए दूसरी सर्जरी की जरूर पड़ सकती है।
• सर्जरी के दौरान ब्रेथिंग ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से गले में दर्द।
• पेट में कार्बनडाइऑक्साइड बच जाने के कारण कंधे या पीठ में दर्द होना।
• कुछ मामलों में सर्जरी के बाद नस में खून के थक्के बन सकते हैं।
लेप्रोस्कोपी सर्जरी कब करवाना चाहिए?
• अगर कोई महिला गर्भधारण करने की कोशिश कर रही है लेकिन उन्हें सफलता न मिल रही हो तब इनफर्टिलिटी की जांच करने के लिए लेप्रोस्कोपी सर्जरी करवानी चाहिए।
• सिस्ट, अपेंडिक्स, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय या ओवरी को शरीर से निकालने के लिए लेप्रोस्कोपी सर्जरी का सहारा लिया जाता है।
• पेट, पेल्विक एरिया में दर्द का कारण जानने के लिए लेप्रोस्कोपी सर्जरी की जाती है।
• पीरियड्स के दौरान अधिक ब्लीडिंग या दर्द होने की स्थिति में।
• लीवर या ओवेरियन कैंसर की स्थिति का पता लगाने के लिए।
• ट्यूमर की जांच करने के लिए और उसका उपचार करने के लिए भी लेप्रोस्कोपी का उपयोग किया जाता है।
• कुछ विकारों का पता लगाने के लिए भी लेप्रोस्कोपी सर्जरी की जाती है।
• एपेंडिसाइटिस, पेल्विक सूजन की वजह, एंडोमेट्रियोसिस का निदान करने के लिए लेप्रोस्कोपी सर्जरी की जाती है।
और पढ़े : गर्भाशय में फाइब्रॉएड
निष्कर्ष
लेप्रोस्कोपी (Laparoscopic Surgery in Hindi) एक सर्जिकल डायग्नोस्टिक प्रक्रिया है, जिसकी मदद से शरीर के अंदरूनी अंगों की जांच की जाती है। इसमें एक छोटा सा चीरा लगाया जाता है, जिसमें लाइट वाली ट्यूब के जरिए कैमरा शरीर के अंदर डाला जाता है। शरीर के अंदरूनी अंगों में हो रही समस्या के निदान और उपचार के लिए यह एक अच्छा विकल्प है। ओपन सर्जरी की तुलना में लेप्रोस्कोपी सर्जरी में तेजी से रिकवरी संभव है। लेप्रोस्कोपी सर्जरी के लिए दिव्य वात्सल्य ममता फर्टिलटी एक अच्छा विकल्प है। यहाँ के Infertility Specialist डॉक्टर के ट्रीटमेंट करने के संयोग से बहुत सी महिलाओं के माँ बनने के सपने को पूरा किया है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
लेप्रोस्कोपी का मतलब क्या होता है?
लेप्रोस्कोपी एक सर्जिकल डायग्नोस्टिक प्रक्रिया है, जिसमें पेट में छोटे से चीरा के जरिए अंदरूनी अंगों की जांच की जाती है। जरूरत पड़ने पर समस्या का निदान करने के साथ साथ लेप्रोस्कोपी से उसका उपचार भी किया जा सकता है।
लेप्रोस्कोपी करने में कितना खर्च आता है?
लेप्रोस्कोपी का खर्च सभी अस्पतालों में अलग अलग होता है, आमतौर पर 2.5 लाख रूपए तक का खर्च हो सकता है।
लेप्रोस्कोपी कब करना चाहिए?
पेट या पेल्विक एरिया में दर्द, कैंसर की संभावना, इनफर्टिलिटी, एपेंडिसाइटिस, पेल्विक सूजन की वजह, एंडोमेट्रियोसिस का निदान करने के लिए, सिस्ट, अपेंडिक्स, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय या ओवरी को निकालने के लिए डॉक्टर के सुझाव पर लेप्रोस्कोपी करवानी चाहिए।
लैप्रोस्कोपी के बाद क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
लैप्रोस्कोपी के बाद सर्जरी वाले हिस्से को साफ और सुखा रखना चाहिए। डॉक्टर के सभी दिशानिर्देश का पालन करना चाहिए, सिगरेट और आल्कोहोल से दूर रहना चाहिए।
लेप्रोस्कोपी क्यों की जाती है?
कई विकारों का पता लगाने और इनफर्टिलिटी की जांच करने के लिए लेप्रोस्कोपी की जाती है। ट्यूमर का निदान और उसका उपचार करने के लिए भी लेप्रोस्कोपी की जाती है। इसके अलावा डॉक्टर किसी भी स्थिति की जांच करने के लिए लेप्रोस्कोपी का सुझाव दे सकते है।