IVF Process in Hindi : आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी IVF उन दंपतियों के लिए आशिर्वाद रूप है जिन्हें गर्भधारण करने में असफलता का सामना करना पड़ रहा हो। बांझपन से पीड़ित दंपतियों के IVF (IVF Process in Hindi) एक वरदान है। दुनिया में हर साल 80 लाख से भी ज्यादा बच्चों का जन्म IVF के जरिए होता है।
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IVF क्या है (What is IVF Process in Hindi)?
IVF एक ट्रीटमेंट है। जिसमें महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को अप्राकृतिक रूप से लेबोरेटरी में फर्टिलाइज़ किया जाता है। फर्टिलाइज़ होने के बाद उन्हों वापस महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है और 9 महिने के बाद बच्चे का जन्म होता है। IVF के जरिए जन्में हुए बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी (test tube baby) कहां जाता है।
कई बार महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में असफल रहती है, फैलोपियन ट्यूब डेमेज (Fallopian Tube Damage) या फिर ब्लॉक हो गई हो, बढ़ती उम्र, एग्स की खबर क्वालिटी, एन्डोमेट्रीओसिस, पुरुष में स्पर्म काउंट कम होना या स्पर्म में मोबिलीटी कम हो ऐसी परिस्थिति में IVF ट्रीटमेंट (IVF Treatment) के जरिए दंपती संतान सुख प्राप्त कर सकते है।
IVF की पूरी प्रक्रिया किस प्रकार की जाती है? (IVF Process in Hindi)
जब दंपती एक साल से अधिक समय तक गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे हो लेकिन उसमें सफलता नहीं मिल रही है तब डॉक्टर के साथ परामर्श करके IVF ट्रीटमेंट (IVF Treatment) शुरू कर सकते है। गर्भधारण करने में असफलता मिलने के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते है, इसलिए डॉक्टर द्वारा महिला और पुरुष दोनों की जांच करवाएं जाती है और रिपोर्ट के जरिए IVF ट्रीटमेंट (IVF Treatment) की सलाह दी जाती है।
IVF ट्रीटमेंट कई चरणों में की जाती है। इस ट्रीटमेंट की सफलता के लिए दंपती को धैर्य रखना जरूरी है।
1. प्रथम चरण – ओवेरियन स्टिमुलेशन : हर महीने महिला के अंडाशय से एक एग्स उत्पन्न होता है, यह प्रक्रिया एग्स रिलीज होने 2 सप्ताह पहले की जाती है। इसका सहीं समय जानने के लिए ब्लड टेस्ट या फिर अल्ट्रासाउंड किया जाता है। जिसके बाद डॉक्टर 4-6 या फिर 6-12 दिनों तक हार्मोनल दवाएं और इंजेक्शन देते है। जिसकी वजह से अंडाशय में एक से अधिक एग्स उत्पन्न होते है। IVF ट्रीटमेंट (IVF Treatment) सफल होने के लिए एक से अधिक एग्स का उत्पन्न होना जरूरी है।
2. दूसरा चरण – ओवरी से एग्स निकालना : यह प्रोसेस ओव्यूलेशन प्रोसेस के 34-36 घंटे बाद शूरू की जाती है। ओवरी से एग्स निकालते वक्त महिला को बेहोश भी किया जा सकता है, उसके बाद ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड के जरिए वजाइना (योनि) में एक पतली सुई डालकर एग्स को निकाला जाता है। 20-30 मिनट की इस प्रोसेस के दौरान महिला की ओवरी से 8-16 हेल्दी और मैच्योर एग्स को बहार निकाला जाता है।
3. तीसरा चरण – पुरुष के स्पर्म कलेक्ट करना : IVF ट्रीटमेंट के तीसरे चरण में पुरुष के स्पर्म लिए जाते है। अगर पुरुष साथी के स्पर्म काउंट कम हो या कोई और दिक्कत हो तो स्पर्म डोनर की मदद भी ली जा सकती है। स्पर्म लेने की प्रक्रिया भी IVF सेंटर (IVF Centre) में ही कई जाती है। मास्टरबेशन की मदद से स्पर्म कलेक्ट किए जाते है। जिसके बाद डॉक्टर स्पर्म फ्लूड से स्पर्म को अगर करते है।
4. चौथा चरण – फर्टिलाइज़ेशन : इस प्रक्रिया में महिला के एग्स के साथ स्पर्म को लैब में रखकर फर्टिलाइज़ किया जाता है। इसमें भी डॉक्टर परिस्थिति के अनुसार परंपरागत गर्भाधान या फिर इंट्रा साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन जैसे दो में एक तरीका अपना सकते है। पुरुष में स्पर्म काउंट या क्वालिटी कम हो तो इंट्रा साइटोप्लाज्मिक प्रक्रिया का उपयोग किया जा सकता है।
5. पांचवा चरण – भृण का स्थानांतरण : फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया (The process of fertilisation )के 5-6 दिन बाद एग्स एक भृण के रूप में विकसित हो जाता है। जिसके बाद इस भृण को गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है। आम तौर पर इस प्रक्रिया में दर्द नहीं होता है लेकिन फिर भी हल्का सा पेन रिलीवर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में वजाइना के माध्यम से लंबी और पतली ट्यूब के जरिए भृण को गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है। 15-20 मिनट की इस प्रक्रिया के बाद महिला अपना डेइली रूटीन शुरू कर सकती है।
IVF ट्रीटमेंट के फायदे (Benefits of IVF Treatment)
नि:संतान दंपती के लिए IVF एक वरदान है। इस ट्रीटमेंट के कई फायदे भी है।
1. गर्भधारण की संभावना : इस ट्रीटमेंट में हेल्दी एग्स और स्पर्म का उपयोग किया जाता है, जिसकी वजह से गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है।
2. स्वस्थ बच्चे का जन्म : इस ट्रीटमेंट को शुरू करने से पहले डॉक्टर महिला और पुरुष दोनों की जांच करते है, जिसकी वजह से स्वस्थ बच्चे के जन्म की संभावना बढ़ जाती है।
3. दाता एग्स और स्पर्म का उपयोग : महिला की ओवरी में अगर स्वस्थ एग्स उत्पन्न नहीं हो रहे या पुरुष में स्पर्म की क्वालिटी या काउंट कम हो तो दाता एग्स और स्पर्म का उपयोग किया जा सकता है।
4. गर्भपात का कम खतरा : इस ट्रीटमेंट में एक से अधिक एग्स का उपयोग किया जाता है, जिसकी वजह से गर्भपात होने की संभावना कम हो जाती है।
5. प्रेगनेंसी का समय तय कर सकते है : इस ट्रीटमेंट की वजह से अब महिला खुद प्रेगनेंसी का समय तय कर सकती है।
IVF ट्रीटमेंट के साइड इफेक्ट्स (Side Effects of IVF Treatment)
IVF ट्रीटमेंट (IVF Treatment)के फायदे के साथ साथ उनके कई साइड इफेक्ट्स भी है।
1. प्रीमैच्योर डिलीवरी : रिसर्च के मुताबिक IVF ट्रीटमेंट की वजह से बच्चे का जन्म समय से पहले होने का ख़तरा बढ़ जाता है। इतना ही बच्चे का वजन कम होने की संभावना भी रहती है।
2. मल्टिपल बर्थ : इस प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए एक से अधिक एग्स का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से एक से ज्यादा बच्चों का जन्म होने की संभावना बढ़ जाती है।
3. ओवरी में सूजन : इस प्रक्रिया में फर्टिलाइज़ेशन के लिए इंजेक्शन दिए जाते है, जिसकी वजह से ओवेरियन हाइपरस्टीमुलेशन सिंड्रोम हो सकता है, जिसमें ओवरी में सूजन और दर्द की शिकायत हो सकती है।
4. गर्भपात : अगर महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा है तो गर्भपात का ख़तरा बढ़ जाता है।
IVF के लिए फर्टिलिटी डॉक्टर को कैसे चुनें? (How To Choose IVF Doctor)
IVF ट्रीटमेंट की सफलता के लिए जरूरी है अनुभवी और उत्कृष्ट फर्टिलिटी डॉक्टर का चुनाव करना। इतना ही उनके सफलता के दर को जानना भी जरूरी है। अगर आप भी अच्छे डॉक्टर का चुनाव करना चाहते है तो आज ही डॉ रश्मि प्रसाद से परामर्श करें। जो आपकी समस्या के मुताबिक आपको विभिन्न विकल्पों के बारे में बताएंगे। जिनके पास लाइसेंस होने के साथ ही उनके सेंटर में आपको उपचार विकल्प, टेस्टिंग, दवाइयां जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध है।
सारांश
IVF ट्रीटमेंट (IVF Process in Hindi) हर नई: संतान दंपती के लिए एक आशिर्वाद से कम नहीं है। गर्भधारण, स्वास्थ्य बच्चे का जन्म, प्रेगनेंसी का समय तय करने आजादी जैसे कई फायदे है तो इस ट्रीटमेंट की कई जटिलता भी है, इस सभी को ध्यान में रखकर डॉक्टर की सलाह से आगे बढ़े।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
IVF की पूरी प्रक्रिया कैसे होती है?
IVF की पूरी प्रक्रिया विभिन्न चरणों में की जाती है। ओवेरियन स्टिमुलेशन, ओवरी में से एग्स को बहार निकालना, पुरुष के स्पर्म को लेकर उन्हें महिला के एग्स के साथ फर्टिलाइज करना और फिर भृण विकसित होते ही उन्हें महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
IVF का खर्च क्या है?
IVF ट्रीटमेंट का खर्च हर सेंटर में भिन्न होता है। आम तौर पर इसका खर्च 1,20,000 से लेकर 2,00,000 रूपए तक का हो सकता है।
आईवीएफ फेल क्यों होता है?
महिला के एग्स की खराब क्वालिटी, कम स्पर्म काउंट या क्वालिटी या फिर जब भृण गर्भाशय की अंदरूनी परत से नहीं जुड़ पाता तब इस ट्रीटमेंट के फेल होने की संभावना बढ़ जाती है।
आईवीएफ कराने के बाद क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
IVF की ट्रीटमेंट के बाद भारी सामान न उठाएं, आल्कोहोल और स्मोकिंग से दूर रहें, सेक्स से दूर रहें, संतुलित डाइट लें, तनाव से दूर रहें और स्वास्थ वज़न रखना चाहिए।
आईवीएफ के साइड इफेक्ट क्या है?
IVF के साइड इफेक्ट की वजह से प्रीमैच्योर डिलीवरी, ओवरी में सूजन और दर्द, तनाव, मल्टीपल बबर्थ गर्भपात हो सकता है।
आईवीएफ की ट्रीटमेंट के बाद कितने समय तक आराम करना चाहिए?
आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद आम तौर पर संपूर्ण बेड रेस्ट की कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन 2 से 3 दिन तक आराम करना चाहिए और भारी वजन उठाने से बचना चाहिए।
IVF ट्रीटमेंट लेने के बाद महिला ट्रावेल कर सकती है?
IVF की ट्रीटमेंट ले रहो हो तो तुरंत बाद ट्रावेल नहीं करना चाहिए लेकिन अगर कोई इमरजेंसी हो तो डॉक्टर से परामर्श करके ट्रावेल करना चाहिए।
आईवीएफ कितने दिन में होता है
एक पूरा आईवीएफ चक्र आमतौर पर 4 से 6 सप्ताह में पूरा होता है। इसमें कुछ चरण शामिल होते हैं:
तैयारी: (1-2 सप्ताह) – हार्मोन दवाओं का उपयोग करके अंडों को विकसित किया जाता है।
अंडा पुनर्प्राप्ति: (1 दिन) – अंडों को अंडाशय से निकाला जाता है।
निषेचन: (1 दिन) – अंडों को शुक्राणुओं के साथ प्रयोगशाला में मिलाया जाता है।
भ्रूण स्थानांतरण: (1 दिन) – विकसित भ्रूणों को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
गर्भधारण परीक्षण: (2 सप्ताह बाद) – यह पता लगाने के लिए रक्त परीक्षण किया जाता है कि क्या गर्भधारण हुआ है।
आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं
इंजेक्शन की संख्या महिला की उम्र, प्रजनन स्वास्थ्य और डॉक्टर की प्रोटोकॉल के आधार पर भिन्न होती है।
आमतौर पर: 10-15 इंजेक्शन प्रतिदिन 2-3 सप्ताह तक दिए जाते हैं।
कभी-कभी: कम या ज्यादा इंजेक्शन की आवश्यकता हो सकती है।
आईयूआई पीरियड के कितने दिन बाद होता है
ओव्यूलेशन के 36-48 घंटे बाद आईयूआई (अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान) किया जाता है।
आईवीएफ कितने प्रतिशत सफलता होता है
सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि:
महिला की उम्र: युवा महिलाओं में सफलता दर अधिक होती है।
प्रजनन स्वास्थ्य: अंडे और शुक्राणुओं की गुणवत्ता भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पूर्व आईवीएफ चक्र: पिछले आईवीएफ चक्रों में सफलता दर भविष्य की सफलता का संकेत दे सकती है।
औसत सफलता दर:
30 वर्ष से कम आयु की महिलाओं के लिए: 20-25% प्रति चक्र
35 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए: 10-15% प्रति चक्र
क्या आईवीएफ दर्दनाक होता है
आमतौर पर, आईवीएफ एक दर्दनाक प्रक्रिया नहीं है।
कुछ महिलाओं को: अंडाशय से अंडे निकालने के दौरान हल्का दर्द या ऐंठन महसूस हो सकती है।
दवाओं के साइड इफेक्ट: जैसे कि सूजन, मूड स्विंग और थकान भी हो सकते हैं।
यदि आपको कोई दर्द या परेशानी हो, तो अपने डॉक्टर से ज़रूर बात करें।