IVF Kya Hai: जानें IVF प्रक्रिया और सफलता के उपाय
IVF जिसे In Vitro Fertilization कहा जाता है, और IVF ट्रीटमेंट हाल ही के दिनों में काफी लोकप्रिय हो गया है। जिन कपल को बच्चा conceive करने में मुश्किले आ रही हो उनके लिए IVF एक आशिर्वाद है। इसमें कई सारी जटिल प्रोसिजर की जाती हैं जो की इनफर्टिलिटी और जिनेटिक प्रोब्लम्स को दूर करती है जिससे गर्भधारण करने में मदद मिलती है।
इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको बतायेंगे की (IVF Kya Hai), यह प्रक्रिया कैसे होते है और किन कारणों से इनफर्टिलिटी होती है? आईवीएफ ट्रीटमेंट बांझपन के इलाज के लिए सबसे मुख्य तरीका माना जाता है।
आईवीएफ क्या है?(IVF Kya Hai)
In this Article
IVF Meaning in Hindi – आईवीएफ का अर्थ इन विट्रो फर्टिलाइजेशन होता है, जिसे हमलोग आम बोलचाल में टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं। आईवीएफ एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हैं, जिसमें ओवरीज से मैच्योर एग्स को लेब में स्पर्म के साथ आर्टिफिशियल तरीके से फर्टिलाइज किया जाता हैं और बाद में इसे युटेरस में प्रस्थापित किया जाता हैं। IVF की पूरी प्रक्रिया खत्म होने में 3 हफ्ते लग जाते हैं। कई बार इन स्टेप्स को टुकड़ों में किया जाता है, जिससे प्रक्रिया थोड़ी लम्बी चलती हैं। और कई बार इन प्रक्रियाओं को ठीक से न किया जाए तो यह फेल होने की भी संभावना है।
IVF की आवश्यकता कब होती है?
IVF की आवश्यकता मुख्य रूप से दो कारणों की वजह से होती है.. इनफर्टिलिटी या फिर जिनेटिक प्रोब्लम्स। 40 से ज्यादा उम्र की महिलाएं जो गर्भधारण करना चाहती हैं उनके लिए भी IVF ट्रीटमेंट की जाती है। इतना ही नहीं कई सारी हेल्थ कंडिशन में भी IVF की आशिर्वाद बनती हैं। जैसे की..
- फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या खराब होना : गर्भाधान के लिए फैलोपियन ट्यूब (Fallopian Tubes) का हेल्दी होना जरूरी है। अगर फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज या फिर खराब हो तो एग्स और स्पर्म के मिलन में बाधा उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में IVF ट्रीटमेंट हीं एक मात्र उपाय बन जाती है।
- जिनेटिक प्रोब्लम्स : जब पार्टनर में से किसी एक को कोई जिनेटिक प्रोब्लम हो तो ऐसे में आने वाले बच्चे में भी वह प्रोब्लम ट्रांसफर हो सकती है। ऐसे में IVF के जरिए ट्रीटमेंट की जाती है। एग्स को फर्टिलाइज करने के बाद उनका चैक अप किया जाता है। हालांकि की सभी जिनेटिक प्रोब्लम्स इसमें नहीं देखे जा सकते।
- यूटेराइन फाइब्रॉइड्स : फाइब्रॉइड्स गर्भाशय में होने वाला सामान्य ट्यूमर हैं। 30 और 40 साल की महिलाओं में यह काफी आम पाया जाता है। एग्स को फर्टिलाइज करने की प्रक्रिया में यूटेराइन फाइब्रॉइड्स बाधा डाल सकते हैं।
- एंडोमेट्रियोसिस : एंडोमेट्रियोसिस में महिला के गर्भाशय के बहार एंडोमेट्रियम नामका टिश्यू बढ़ने लगता है। जिसकी वजह से सामान्य रूप से गर्भधारण होने में मुश्किलें आती है। लेकिन ऐसे में IVF ट्रीटमेंट से गर्भाधान में आसानी रहती है।
- स्पर्म की खराब क्वालिटी : गर्भाधान के लिए स्पर्म की क्वालिटी की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। कम स्पर्म काउंट या फिर मोबिलीटी खराब हो तो स्पर्म एग्स को फर्टिलाइज नहीं कर पाते। सिमन में कुछ भी असामान्य लगे तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है
IVF सेंटर का चुनाव कैसे करें?(How to Choose an IVF Center)
आज भारत में IVF सेंटर के ढेरों विकल्प मिल जाएंगे, लेकिन बेस्ट रिजल्ट के लिए IVF सेंटर का चुनाव करते समय कुछ बातें ध्यान में रखना जरूरी है।
1. सेंटर के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करें : सबसे से पहले तो आप जिस IVF सेंटर को चुन रहे हैं वह सरकार द्वारा मान्यता प्रप्त होना चाहिए और उनके पास ISO सर्टिफाइड का सर्टिफिकेट होना चाहिए। आप यह सर्टिफिकेट उस सेंटर की वेबसाइट पर से भी देख सकते हैं। इसके बाद IVF सेंटर के स्टाफ और डॉक्टर की योग्यता और उनके अनुभव के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
2. सक्सेस रेट जाने : किसी भी IVF सेंटर का सक्सेस रेट कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है जैसे की अनुभवी डॉक्टर, एडवांस एक्विपमेंट और डॉक्टर द्वारा पर्फोर्म की गई IVF सायकल की संख्या। आम तौर पर 40 साल की महिलाओं में IVF ट्रीटमेंट की सक्सेस रेट 40 to 60% तक होती है।
3. उपलब्ध सुविधाएं और तकनीकी उपकरण : IVF सेंटर की लेबोरेटरी के मानक इन्डियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च मुताबिक सख्त रूप से फोलो हो रहे हैं या नहीं उनकी जांच करें। इतना ही नीचे दिए गए नियमों का पालन होना भी जरूरी है।
- लेबोरेटरी के कपड़े
- नोन-टोक्सिक मास्क और गल्वस
- चहरे और आंखों के लिए प्रोटेक्शन
- एक्विपमेंट को डिसइन्फेक्ट और स्टरलाइज्ड करने के लिए पर्याप्त सुविधा
- डिस्पोजेबल मैटीरियल का उपयोग।
4. मूल्य और लागत : हर IVF सेंटर की ट्रीटमेंट की कीमतें अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन यह जरूरी है कि आप उस सेंटर को चुनें जो आपकी आर्थिक स्थिति के अनुरूप हो।
IVF प्रक्रिया कैसे होती है?
यह एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट हैं। जिसमें अगर कोई कपल बाझपन से जूझ रहे तोह उन्हें यह ट्रीटमेंट दी जाती हैं। सबसे पहले महिला और पुरुष के कई टेस्ट किए जाते हैं। बाद में महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को फर्टिलाइज करके भ्रूण का निर्माण किया जाता हैं। जिसके बाद इस भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रस्थापित किया जाता हैं। इस ब्लॉग में हम हम IVF की प्रक्रिया के प्रत्येक चरण को विस्तार से समझायेंगे ..
1. ओवेरियन स्टिमुलेशन : IVF प्रक्रिया ओवेरियन स्टिमुलेशन में आपकी ओवरी को अधिक अंडे का निर्माण करने के लिए उत्तेजित किया जाता है, जिस कारण डॉ आपको हार्मोन का इंजेक्शन देते हैं।
2. ओवरी से एग निकालना : जब अंडाणु पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं, तो अगले चरण में डॉक्टर महिला के अंडाशय से अंडाणु निकालते हैं।
3. स्पर्म लेना : इस प्रक्रिया के दौरान, डॉ पुरुष के स्पर्म लिया जाता है।
4. फर्टिलाइजेशन : इस चरण में अंडाणु और शुक्राणु को लैब में मिलाकर फर्टिलाइजेशन करवाते है।
5. गर्भ में भ्रूण का स्थानांतरण : जब भ्रूण पूरी तरह से विकसित हो जाता है, फिर उसके बाद डॉ महिला के गर्भाशय में डालते है।
आईवीएफ का खर्च कितना है? (IVF Treatment Cost)
IVF की एक सायकल का खर्च 1,00,000 से लेकर 3,50,000 तक का होता हैं, हालांकि मेडिकेशन, टेस्ट और दूसरी प्रोसिजर के खर्च अलग से होते हैं। इतना ही नहीं ICSI जैसी ट्रीटमेंट के खर्च भी अलग अलग हो सकते हैं। बिहार के सबसे विश्वसनीय IVF सेंटर दिव्या वात्सल्य ममता IVF सेंटर में आपको टोटल का लगत बस Rs 85,000 ही हैं।
IVF ट्रीटमेंट के फायदे (Benefits of IVF Treatment)
- गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती हैं
- जिनेटिक प्रोब्लम आने वाले बच्चे में ट्रांसफर होने की संभावना कम हो जाती हैं
- पुरूष के स्पर्म काउंट कम हो या फिर महिला में एग्स न बन पा रहे हो तो डोनर की मदद से भी गर्भधारण हो सकता हैं
- गर्भपात का ख़तरा कम हो जाता हैं
- अपने हिसाब से प्रेग्नेंसी का समय तय कर सकते हैं
IVF के साइड इफेक्ट्स (Side Effects of IVF)
- IVF ट्रीटमेंट में महिला में से एग्स निकालते समय कोम्लिकेशन हो सकता है
- बहुत ही ज्यादा ब्लीडिंग होना
- जन्म के समय शिशु का वजन कम होना
- एक से अधिक शिशु के जन्म की संभावना
- प्रीमेच्योर डिलीवरी
- ओवेरियन कैंसर
IVF के बाद ध्यान रखने वाली बातें
- आल्कोहोल से परहेज़ करें
- दवाएं का समय पर सेवन करें
- संतुलित आहार लें
- तनाव से दूर रहें
- भारी सामान उठाने से बचें
- सेक्स से दूर रहें
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निष्कर्ष
आईवीएफ में कितना खर्चा आएगा?
भारत में आईवीएफ का खर्च ₹ 70,000 से लेकर ₹ 3,00,000 तक हो सकता है। यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें शामिल हैं:
क्लिनिक का स्थान और प्रतिष्ठा
डॉक्टर का अनुभव
दवाओं और उपचारों की आवश्यकता
अतिरिक्त प्रक्रियाएं जैसे कि ICSI या भ्रूण जमाकरण
सफलता दर
यह सलाह दी जाती है कि आप विभिन्न क्लीनिकों से अनुमान प्राप्त करें और उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं और पैकेजों की तुलना करें।
आईवीएफ कितने दिन में होता है
एक पूरा आईवीएफ चक्र लगभग 4-6 सप्ताह का होता है। इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
दवाएं: महिला को अंडाशय को उत्तेजित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं ताकि वह एक से अधिक अंडे का उत्पादन कर सके।
अंडा निष्कर्षण: अंडों को अंडाशय से निकाला जाता है।
निषेचन: अंडों को प्रयोगशाला में शुक्राणुओं के साथ मिलाया जाता है।
भ्रूण स्थानांतरण: निषेचित अंडे (जिन्हें भ्रूण कहा जाता है) को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
गर्भावस्था परीक्षण: भ्रूण स्थानांतरण के दो सप्ताह बाद गर्भावस्था परीक्षण किया जाता है।
आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं?
आईवीएफ चक्र के दौरान इंजेक्शनों की संख्या महिला की व्यक्तिगत जरूरतों पर निर्भर करती है। आमतौर पर, महिला को 10-12 दिनों तक रोजाना इंजेक्शन लगाने की आवश्यकता होती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल अनुमानित संख्याएं हैं और आपके लिए वास्तविक लागत, समयसीमा और इंजेक्शनों की संख्या भिन्न हो सकती है।
अधिक जानकारी के लिए, आप किसी प्रजनन विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
आईवीएफ ट्रीटमेंट क्या होता है
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) एक प्रजनन तकनीक है जो गर्भधारण में सहायता करती है। इस प्रक्रिया में, महिला के अंडों को शरीर से निकाला जाता है और प्रयोगशाला में शुक्राणुओं द्वारा निषेचित किया जाता है। निषेचित अंडे, जिन्हें भ्रूण कहा जाता है, को फिर महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है, जहाँ वे (यदि सफल होते हैं) गर्भावस्था में विकसित होते हैं।
आईवीएफ फेल होने के कारण
आईवीएफ कई कारणों से विफल हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
अंडे या शुक्राणु की खराब गुणवत्ता
भ्रूण का असामान्य होना
गर्भाशय की परत में समस्याएं
हार्मोनल असंतुलन
अज्ञात कारण
आईवीएफ ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है
आईवीएफ उपचार कई चरणों में होता है, जिनमें शामिल हैं:
दवाओं का उपयोग करके अंडाशय की उत्तेजना: महिला को कई दवाएं दी जाती हैं ताकि उसके अंडाशय एक ही समय में कई अंडे का उत्पादन कर सकें।
अंडे का संग्रह: एक नाड़ी-निर्देशित अल्ट्रासाउंड का उपयोग करते हुए, डॉक्टर योनि के माध्यम से एक पतली सुई डालकर अंडे निकालते हैं।
शुक्राणु का संग्रह: पुरुष से वीर्य का एक नमूना एकत्र किया जाता है।
निषेचन: प्रयोगशाला में, अंडों को शुक्राणुओं के साथ मिलाया जाता है। निषेचन को दो तरीकों से किया जा सकता है: पारंपरिक आईवीएफ और इंट्रा-साइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई)।
भ्रूण का विकास: निषेचित अंडे, जिन्हें अब भ्रूण कहा जाता है, को 3-5 दिनों तक प्रयोगशाला में विकसित होने दिया जाता है।
भ्रूण स्थानांतरण: डॉक्टर एक पतली कैथेटर का उपयोग करके 1-2 भ्रूणों को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित करते हैं।
गर्भावस्था परीक्षण: भ्रूण स्थानांतरण के दो सप्ताह बाद, महिला गर्भावस्था परीक्षण करवा सकती है।
आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी के बीच का अंतर
आईवीएफ और टेस्ट ट्यूब बेबी एक ही प्रक्रिया के दो नाम हैं। दोनों शब्दों का उपयोग एक ही तकनीक का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जिसमें महिला के अंडों को शरीर से बाहर निषेचित किया जाता है और फिर गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
क्या आईवीएफ दर्दनाक होता है?
आईवीएफ प्रक्रिया में कुछ असुविधा हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर दर्दनाक नहीं होता है। अंडे की निकासी प्रक्रिया के दौरान कुछ महिलाओं को हल्का दर्द या ऐंठन का अनुभव हो सकता है।