IUI Kya Hota Hai? आईयूआई प्रक्रिया के फायदे और सफलता दर
आजकल की मॉडर्न लाइफस्टाइल और अनियमित खानपान, जंक फूड का अधिक सेवन, शराब और सिगरेट की आदत और लोगों की सेहत एवं खासतौर पर उनकी फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। यही कारण है कि बांझपन (Infertility) की समस्याएँ तेजी से बढ़ रही हैं।
आईयूआई (IUI Treatment) इनफर्टिलिटी का एक आधुनिक और प्रभावी इलाज है, जो कपल्स को माता-पिता बनने का सपना पूरा करने में मदद करता है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से चर्चा करेंगे:
- IUI Kya Hota Hai?
- यह प्रक्रिया कैसे की जाती है?
- इनफर्टिलिटी के मुख्य कारण और आईयूआई कब जरूरी होता है।
अगर आप या आपके परिवार में कोई बांझपन की समस्या से जूझ रहा है, तो यह ब्लॉग आपके लिए मददगार साबित हो सकता है।
आईयूआई क्या है? (IUI Kya Hota Hai)
In this Article
IUI का मतलब इंट्रा यूटेराईन इन्सेमिनेशन है, IUI treatment इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक आधुनिक और उन्नत तकनीक है। इस प्रक्रिया में विशेष रूप से तैयार किए गए शुक्राणु को सीधे गर्भाशय में डाला जाता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है। यह प्रक्रिया उन कपल्स के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होती है जो:
- स्पर्म की क्वालिटी या मोटिलिटी की समस्या से जूझ रहे हैं।
- फैलोपियन ट्यूब में आंशिक ब्लॉकेज की वजह से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं।
आईयूआई किसके लिए उपयुक्त है? (Who is IUI Suitable For)
IUI ट्रीटमेंट उन दंपतियों के लिए एक प्रभावी तकनीक है, जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं। यह प्रक्रिया उन पुरुषों और महिलाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो निम्नलिखित समस्याओं से जूझ रहे हैं:
1. हल्का पुरुष बांझपन (Mild Male Infertility)
यदि स्पर्म काउंट या स्पर्म मोटिलिटी, या गुणवत्ता में हल्की समस्या है, तो IUI ट्रीटमेंट एक उपयोगी विकल्प हो सकता है।
2. अस्पष्ट बांझपन (Unexplained Infertility)
जब बांझपन का कोई स्पष्ट कारण नहीं मिलता, तब IUI ट्रीटमेंट गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने में मदद करता है।
3. ओवुलेशन की समस्याएं (Ovulation Issues)
जिन महिलाओं में अंडोत्सर्जन (Ovulation) नियमित नहीं होता, उनके लिए IUI के साथ ओवुलेशन-इंडक्शन दवाएं दी जाती हैं।
आईयूआई प्रक्रिया कैसे की जाती है? (Steps of IUI Process in Hindi)
आईयूआई ट्रीटमेंट प्रक्रिया मुख्यतः चार भागो में होता है, प्रत्येक अस्पताल में या डॉक्टर की आईयूआई ट्रीटमेंट की प्रक्रिया थोड़ी भिन्न हो सकती है। नीचे हमने आईयूआई उपचार के प्रमुख स्टेप्स को स्पष्ट किया है
1. पहली जांच और सलाह (Initial Consultation and Testing)
आईयूआई ट्रीटमेंट स्टार्ट करने से पहले, डॉक्टर महिला एवं पुरुष दोनों की जांच करते हैं और साथ ही साथ उन्हें समझाते भी है, कि आईयूआई उनके लिए उपयुक्त है या नहीं। इस चरण में सामान्य टेस्ट और इन्फर्टिलिटी जांच की जाती है, ताकि डॉक्टर निर्णय ले सकें।
2. ओव्यूलेशन को प्रेरित करना (Ovulation Induction)
महिला में ओवुलेशन को उत्तेजित करने के लिए कुछ हार्मोनल दवाएं दी जाती हैं। डॉक्टर के परामर्श के बाद कुछ दवाओं का सेवन शुरू किया जाता है, ताकि ओवुलेशन में मदद मिल सके और गर्भाधान की संभावना बढ़ सके।
3. शुक्राणु की तैयारी (Sperm Preparation)
महिला के गर्भाधान की संभावना बढ़ाने के लिए, पुरुष से शुक्राणु एकत्रित किए जाते हैं और फिर लैब में इनकी सफाई की जाती है। इस प्रक्रिया में सबसे स्वस्थ और गतिशील शुक्राणु का चयन किया जाता है, जिससे गर्भाधान की संभावना अधिक हो।
4. शुक्राणु का गर्भाशय में डालना (Insemination Procedure)
इस चरण में, डॉक्टर एक पतले कैथेटर का उपयोग करके साफ किए गए शुक्राणु को गर्भाशय में इंजेक्ट करते हैं। शुक्राणु को फैलोपियन ट्यूब के पास छोड़ा जाता है, ताकि गर्भाधान की संभावना अधिक हो। इसके बाद, महिला को लगभग 10 से 30 मिनट तक आराम करने के लिए कहा जाता है।
आईयूआई के बाद के निर्देश (Post-IUI Instructions)
आईयूआई ट्रीटमेंट के बाद, डॉ महिला को कुछ सावधानियाँ बरतने की सलाह देते है:
- आपको भारी व्यायाम या तनाव से बचना चाहिए ।
- बताए गए फॉलो-अप अल्ट्रासाउंड और टेस्ट के लिए समय पर जाना चाहिए ।
- आहार और नियमित आराम का पालन भी करना चाहिए ।
आईयूआई के फायदे (Benefits IUI in Hindi)
आईयूआई के सबसे बड़े फायदे (IUI Benefits) निम्नलिखित हैं –
- बिना चीर-फाड़, न के बराबर दर्द वाली प्रक्रिया
- IVF की तुलना में बहुत सस्ता
- सबसे कम जोखिम
- कोई ब्लीडिंग नहीं
- मात्र 15-20 मिनट में होने वाली प्रोसेस
- कोई भी हॉस्पिटलाइजेशन नहीं, कम समय में ही डिस्चार्ज
आईयूआई के नुकसान (Side Effects of IUI Treatment in Hindi)
IUI ट्रीटमेंट कुछ मामलों में हल्के से लेकर गंभीर साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकता है। हालांकि, यह बहुत ही कम होते हैं और आमतौर पर सही डॉक्टर से इलाज कराते हुए इनसे बचा जा सकता है।
1. इन्फेक्शन की संभावना (Risk of Infection)
IUI प्रक्रिया में इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है, इसलिए डॉक्टर अपने उपकरणों को पूरी तरह से स्टेरिलाइज करते हैं।
2. अंडाशय से कई अंडे बाहर आना
Rare Cases में, ओवुलेशन-इंडक्शन दवाओं के कारण अंडाशय से कई अंडे एक साथ बाहर आ सकते हैं, जिससे एक से अधिक शिशुओं के साथ गर्भधारण का खतरा बढ़ सकता है।
3. पेट में ऐंठन और द्रव का जमा होना
कभी कभी अंडाशय दवाओं के साथ रिएक्शन कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप पेट में द्रव और ऐंठन आदि की शिकायत हो सकती है।
4. किडनी और अंडाशय सम्बंधित समस्याएं
किडनी और अंडाशय सम्बंधित समस्या हो सकती है। खून के थक्के बनने का खतरा भी बढ़ जाता है।
इन सभी जोखिमों से बचने के लिए ही दम्पत्ति को अनुभवी डॉक्टर का ही चयन करना चाहिए। समय-समय पर जांच कराते रहने से ऐसी सभी समस्याओं से बचाव किया जा सकता है।
आईयूआई किसके लिए उपयुक्त है? (IUI Treatment Suitable for Whom)
निम्नलिखित समस्याओं से परेशान व्यक्तियों के लिए IUI प्रक्रिया अपनाने की सलाह दी जाती है :
- अस्पष्ट बांझपन (जिनके कारण पता न हो)
- हल्के Endometriosis से परेशान स्त्रियाँ
- कम शुक्राणु की मात्रा
- शुक्राणु दोष
- स्खलन की समस्या से परेशान पुरुष
- अनुवांशिक दोष से परेशान
- यदि महिला का कोई पार्टनर नहीं और उन्हें गर्भवती होने की इच्छा है
भारत में आईयूआई का खर्च (IUI Cost in India)
भारत में आईयूआई की पूरी प्रक्रिया का खर्च 10,000 रुपए से शुरू होकर 20,000 रुपए तक जाता है। औसतन 15,000 रुपए में यह प्रक्रिया कराई जा सकती है। यह IVF के मुकाबले काफी सस्ता पड़ता है।
इसके खर्च के पीछे कई कारक होते हैं जैसे :
- डॉक्टर का अनुभव
- इलाज हेतु चुने गए शहर और क्लिनिक का प्रकार
- IUI साईकल की संख्या
- IUI से पहले किए जाने वाले जाँच
आईयूआई की सफलता दर (Success Rate of IUI Treatment in Hindi)
आईयूआई (Intrauterine Insemination) की सफलता दर हर कपल के लिए अलग होती है। इसकी सफलता पर कई फैक्टर्स असर डाल सकते हैं, जैसे:
- महिला की उम्र
- बांझपन का कारण
- दवाओं का उपयोग
- प्रजनन संबंधी समस्याएं
- स्पर्म की गुणवत्ता
आमतौर पर, आईयूआई की सफलता दर 15% से 20% के बीच हो सकती है। हालांकि, यदि इसे अनुभवी डॉक्टरों द्वारा किया जाता है और उचित दवाओं का उपयोग किया जाता है, तो सफलता की संभावना अधिक हो सकती है।
यदि आप आईयूआई ट्रीटमेंट के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं, तो आप पटना के Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre में विजिट कर सकते हैं। हमारे पास उच्च सफलता दर और प्रमाणित विशेषज्ञों की टीम है, जो आपकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार है।
अधिक जानकारी के लिए आज ही कॉल करें: +91- 9771038137 या हमारे वेबसाइट पर अपॉइंटमेंट बुक करें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या आईयूआई के दौरान दर्द होता है?
नहीं। यह प्रक्रिया नॉन-सर्जिकल है, इसलिए दर्द न के बराबर होता है। अगर आपको दर्द हो, तो तुरंत अपने डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
आईयूआई क्यों किया जाता है?
आईयूआई प्रक्रिया एक सस्ती, आसान और जोखिम रहित प्रक्रिया है। इसलिए IVF से पहले आईयूआई कराने की सलाह दी जाती है।
आईयूआई कितनी बार करनी चाहिए?
अगर आपकी उम्र 35 वर्ष तक है तब आपको डॉक्टर 5 बार तक आईयूआई कराने की सलाह दे सकते हैं।
IUI कब करना चाहिए?
IUI कराने की सलाह तब दी जाती है, जब पुरुष के शुक्राणुओं की संख्या कम हो या उनकी गति शिथिल हो, महिलाओं में गर्भाशय में संक्रमण के लक्ष्ण दिख रहे हों, उनकी अंडा प्रजनन क्षमता कम हो रही हो, बार-बार गर्भवती होने की कोशिश पर भी गर्भधारण न हो रहा हो।
आईयूआई के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी होती है?
आईयूआई के 2-3 हफ्ते बाद प्रेगनेंसी की संभावना होती है।
आईयूआई कब किया जाता है
आईयूआई का सबसे अच्छा समय ओवुलेशन (अंडाशय से अंडे निकलने) के आसपास होता है।
आमतौर पर, यह मासिक धर्म चक्र के 12वें से 16वें दिन के बीच किया जाता है।
डॉक्टर अंडे की परिपक्वता का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड और हार्मोन टेस्ट का उपयोग करेंगे।
IUI के बाद क्या नहीं करना है?
आईयूआई के बाद आराम करें, धूम्रपान और शराब न लें, तनाव कम करें, संक्रमण से बचें, डॉक्टर की सलाह लें।
आईयूआई पीरियड के कितने दिन बाद होता है
आईयूआई आमतौर पर पीरियड के 12वें से 16वें दिन के बीच किया जाता है, लेकिन यह आपकी मासिक धर्म चक्र की लंबाई और अंडे की परिपक्वता पर निर्भर करता है।
डॉक्टर आपको सटीक समय बताएंगे।
आईयूआई करने के बाद क्या सावधानी बरतनी चाहिए
भारी गतिविधि से बचें।
आराम करें और भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ पिएं।
संभोग से बचें।
यदि आपको कोई दर्द या रक्तस्राव होता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं।
आईयूआई के बाद क्या खाना चाहिए
आईयूआई के बाद आपको कोई विशेष आहार लेने की आवश्यकता नहीं है।
एक स्वस्थ और संतुलित आहार खाना महत्वपूर्ण है जो फल, सब्जियां, साबुत अनाज और दुबला प्रोटीन से भरपूर हो।
आईयूआई और आईवीएफ में क्या अंतर है
आईयूआई में, शुक्राणु को सीधे महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है।
आईवीएफ में, अंडे और शुक्राणु को प्रयोगशाला में मिलाकर निषेचित किया जाता है, और फिर विकसित भ्रूण को महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
आईयूआई आईवीएफ की तुलना में कम जटिल और कम खर्चीला होता है।
प्रेगनेंसी में स्पर्म अंदर जाने से क्या होता है?
गर्भावस्था के दौरान स्पर्म अंदर जाने से गर्भधारण नहीं होता है।
जब शुक्राणु अंडे से मिलता है, तो वे निषेचन करते हैं।
निषेचित अंडा (जिसे अब भ्रूण कहा जाता है) गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है और विकसित होता है।
IUI के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए?
IUI के 12-14 दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए। इस दौरान Beta HCG का स्तर बढ़ने लगता है, जो गर्भधारण की पुष्टि करता है।
पहली कोशिश में IUI की सफलता दर क्या है?
पहली कोशिश में IUI की सफलता दर लगभग 15-20% होती है, जो महिला की उम्र, बांझपन का कारण और स्पर्म की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।