Implantation Bleeding in Hindi: इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है? लक्षण और उपचार
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इम्पलांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स के ब्लीडिंग के बीच कुछ महिलाओं में दुविधा हो सकती है। खासकर के जो महिलाएं गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हो वो घबरा जाती है। हालांकि इम्पलांटेशन ब्लीडिंग (Implantation Bleeding in Hindi) गर्भावस्था की शुरुआत का संकेत है। फर्टिलाइज एग जब गर्भाशय की दीवार से जुड़ने की कोशिश करता है तब इम्पलांटेशन ब्लीडिंग (Implantation Bleeding) होता है। हालांकि यह कुछ महिलाओं में हीं देखने को मिलता है। इम्पलांटेशन ब्लीडिंग में उपचार की कोई जरूरत नहीं होती है लेकिन अगर ब्लीडिंग ज्यादा शुरू हो जाए तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है? (Implantation Bleeding in Hindi)
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आप हमारे (Implantation Bleeding in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे की इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है? लक्षण और उपचार इस बारे में बहुत ही विस्तार से बताने वाले हैं।
इम्पलांटेशन ब्लीडिंग गर्भावस्था की शुरुआत का एक महत्वपूर्ण संकेत है। इसमें हल्का सा स्पॉटिंग या फिर डिस्चार्ज होता है। जब फर्टिलाइज एग गर्भाशय की परत से जुड़ जाता है और एग की मुवमेंट की वजह से महिला को इम्पलांटेशन ब्लीडिंग का अनुभव हो सकता है। यह ब्लीडिंग बहुत हल्का होता है। यह कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रहता है। कई महिलाएं इम्पलांटेशन ब्लीडिंग को पीरियड्स का ब्लीडिंग समझ लेती है। आम तौर पर गर्भधारण करने के 10 से 14 दिन के अंदर इम्पलांटेशन ब्लीडिंग होता है।
कुछ महिलाएं इस ब्लीडिंग की वजह से घबरा जाती है लेकिन इम्पलांटेशन ब्लीडिंग बहुत ही नोर्मल है और इससे घबराने की जरूरत नहीं है। लगभग 25% महिला को गर्भधारण के वक्त इम्पलांटेशन ब्लीडिंग का अनुभव होता है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के कारण (Causes of Implantation Bleeding in Hindi)
गर्भावस्था में ब्लीडिंग सिर्फ इम्पलांटेशन हीं हो यह जरूरी नहीं है। ब्लीडिंग के की और कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। ऐसे में ब्लीडिंग को नजरअंदाज करने की ग़लती न करें। आम तौर पर गर्भावस्था में ब्लीडिंग के लिए निम्नलिखित कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
• फाइब्रॉयडस : कभी कभी फाइब्रॉयडस की वजह से भी स्पॉटिंग देखने को मिल सकता है। ऐसे में डॉक्टर इसका पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं।
• ऐक्टोपिक गर्भावस्था : जब भ्रूण गर्भाशय के बाहर इम्पलांट हो तो उसे ऐक्टोपिक गर्भावस्था कहते हैं। ऐसे आपको दर्द या ऐंठन के साथ ब्लीडिंग हो सकती है।
• सर्वाइकल प्रॉब्लम्स : गर्भाशय ग्रीवा में संक्रमण होने की वजह से भी ब्लीडिंग हो सकती है।
• सेक्स : हार्मोन और शारीरिक बदलाव की वजह से सेक्स के दौरान ब्लीडिंग हो सकती है, लेकिन यह अपने आप ठीक हो जाती है।
• गर्भपात : करीब 15% मामलों में गर्भधारण के कुछ हीं महीनों में गर्भपात हो जाता है। ऐसे में आपको पता हो कि आप गर्भवती हैं और आपको ब्लीडिंग शुरू हो जाए तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
• प्लेसेंटा प्रिविया : प्लेसेंटा गर्भस्थ शिशु को पोषण और ऑक्सीजन देता है, यह गर्भाशय की दीवार से जुड़ा होता है, लेकिन अगर यह सर्विक्स के मुंह को पूरे या अधूरेपन रूप से ढक देता है तो बच्चे का जन्म नोर्मल डिलीवरी से संभव नहीं हो पाता। इस स्थिति में भी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ सकता है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण ( Symptoms of Implantation Bleeding in Hindi)
इंप्लांटेशन ब्लीडिंग कितने दिन होती है एग फर्टिलाइज होने के बाद यानी गर्भधारण करने के 10-14 दिनों में इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग होती है। इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं।
• मूड स्विंगस : इम्पलांटेशन ब्लीडिंग की वजह से महिला के मूड में अचानक से परिवर्तन आने लगते है। इतना ही नहीं फूड क्रेविंग भी बढ़ जाती है।
• थकान : गर्भावस्था की शुरुआत में महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्ट्रॉन की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से उन्हें थकान महसूस होती है।
• सिरदर्द : गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव की वजह से शुरूआत में सिरदर्द हो सकता है।
• बार-बार यूरिन आना : गर्भावस्था के शुरुआत में HCG हार्मोन बढ़ जाते हैं, जिसकी वजह से पेल्विक एरिया में दबाव पड़ता है और इसकी वजह से बार-बार यूरिन पास करने की इच्छा होती हैं।
• रंग : इम्पलांटेशन ब्लीडिंग का कलर पीरियड्स के ब्लीडिंग से अलग होता है। इसका रंग भूरा या गुलाबी रंग का हो सकता है। इसके अलावा स्तन का कोमल होना, मॉर्निंग सिकनेस, कब्ज़ इत्यादि इम्पलांटेशन ब्लीडिंग के लक्षण है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग से बचाव ( Prevention of Implantation Bleeding in Hindi)
ब्लीडिंग की स्थिति में सबसे पहले डॉक्टर से संपर्क करें और इससे बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।
- ब्लीडिंग होने पर आराम करें, ज्यादा मेहनत करने और वजन उठाने से बचें।
- अमरूद की पत्तियों का सेवन करें।
- शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
- मिसकैरिज से बचने के लिए संतुलित मात्रा में फॉलिक एसिड का सेवन करें।
- ब्लीडिंग की स्थिति में तुरंत हीं डॉक्टर से संपर्क करें।
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इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग का इलाज (Treatment of Implantation Bleeding in Hindi)
इम्पलांटेशन ब्लीडिंग का इलाज उसके कारण पर निर्भर करता है।
• अगर भ्रूण गर्भाशय के बहार इम्पलांट हुआ हो तो भी ब्लीडिंग हो सकती है, ऐसे में डॉक्टर दवाइयां या फिर सर्जरी के जरिए इलाज का सुझाव दे सकते है।
• मिसकैरिज होने पर भी ब्लीडिंग हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर संक्रमण न फैले इसलिए डाइलेशन और क्यूरेटेज प्रक्रिया के जरिए गर्भाशय की सफाई करते हैं।
• प्लेसेंटा प्रिविया की स्थिति में डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दे सकते है।
• थ्रेटेंड एबॉर्शन कि स्थिति में डॉक्टर शारीरिक संबंध बनाने से बचने के लिए कह सकते हैं।
इम्पलांटेशन ब्लीडिंग और पीरियड्स के बीच अंतर (Difference Between Implantation Bleeding and Periods)
इम्पलांटेशन ब्लीडिंग (Implantation Bleeding) और पीरियड्स के लक्षण (Symptoms of periods) एक जैसे होने की वजह से इसका फर्क समझने में समस्या हो सकती है।
• ब्लड फ्लो : पीरियड्स के दौरान हेवी ब्लड फ्लो होता है जबकि इम्पलांटेशन ब्लीडिंग में हल्का सा ब्लीडिंग होता है।
• क्रैंप्स : पीरियड्स के दौरान महिलाओं को क्रैंप्स होते हैं जबकि इम्पलांटेशन ब्लीडिंग में क्रैंप्स नहीं आते।
• रंग : पीरियड्स के दौरान अक्सर लाल रंग का ब्लीडिंग होता है जबकि इम्पलांटेशन ब्लीडिंग के दौरान भूरे या गुलाबी रंग का ब्लीडिंग होता है।
• अवधि : पीरियड्स में चार से पांच दिन तक ब्लीडिंग हो सकता है जबकि इम्पलांटेशन ब्लीडिंग कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक चल सकता है।
निष्कर्ष
गर्भावस्था की शुरुआत के लक्षण में से एक इम्पलांटेशन ब्लीडिंग (Implantation Bleeding in Hindi) है। हालांकि करीब 25% गर्भवती महिलाओं को यह अनुभव होता है। यह गर्भधारण करने के 10 से 10 दिन के बीच में होता है। हालाकी ब्लीडिंग के पीछे और भी कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। ऐसे में इसके लक्षणों को पहचानना जरूरी है। आम तौर इम्पलांटेशन ब्लीडिंग से घबराने की जरूरत नहीं है, लिए ज्यादा समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
इम्प्लांटेशन में कितना ब्लीडिंग होता है?
इम्पलांटेशन ब्लीडिंग हल्का सा या सिर्फ स्पॉटिंग होता है। पीरियड्स की तरह इसमें हेवी ब्लड फ्लो नहीं होता है। पीरियड्स में सेनेटरी नेपकिन या फिर टैम्पून का इस्तेमाल करना पड सकता है, जबकि इम्पलांटेशन ब्लीडिंग सिर्फ एक धब्बे के रूप में होता है, लेकिन गंभीर स्थिति में पांच दिन तक लगातार ब्लीडिंग हो सकता है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग क्या है ?
जब एग फर्टिलाइज होने के बाद गर्भाशय की दीवार से जुड़ते हैं तब एग की मुवमेंट की वजह से होने वाली ब्लीडिंग को इम्पलांटेशन ब्लीडिंग कहते हैं। यह गर्भावस्था का एक महत्वपूर्ण शुरुआती लक्षण है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग में दर्द होता है?
इम्पलांटेशन ब्लीडिंग में पीरियड्स की तरह पेट में दर्द या ऐंठन की दिक्कतें नहीं होती। स्पॉटिंग की वजह से इम्पलांटेशन ब्लीडिंग का पता चलता है।
आपको कैसे पता चलेगा कि यह इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग है या पीरियड?
इम्पलांटेशन ब्लीडिंग में सिर्फ स्पॉटिंग होता है जबकि पीरियड्स में हेवी ब्लड फ्लो होता है। इम्पलांटेशन ब्लीडिंग का रंग, अवधि सब पीरियड्स के ब्लीडिंग से अलग होती है।
इंप्लांटेशन ब्लीडिंग का कलर कैसा होता है
हल्का गुलाबी या भूरा: यह सबसे आम रंग है।
लाल: यह कम आम है, लेकिन फिर भी सामान्य हो सकता है।
नारंगी: यह दुर्लभ है, लेकिन कुछ महिलाओं को यह अनुभव हो सकता है।
इंप्लांटेशन ब्लीडिंग के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए
आप इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के 10-14 दिन बाद या छूटी हुई अवधि के बाद प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकती हैं।
यदि आप अनिश्चित हैं कि आपको इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग हो रही है या नहीं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।