Female Infertility

Bicornuate Uterus in Hindi : बाइकॉर्नुएट गर्भाशय? लक्षण और इलाज

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय जन्मजात होता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार यह एक गर्भाशय विकृति है। यह काफी दुर्लभ है, 0.5% महिलाओं में हीं बाइकॉर्नुएट गर्भाशय (Bicornuate Uterus in Hindi) पाया जाता है। हालांकि उन्हें भी गर्भवती होने के बाद या फिर गर्भपात होने पर इसका पता चलता है। बाइकॉर्नुएट गर्भाशय (Bicornuate Uterus) की परिस्थिति में अधिकांश महिलाओं को सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है लेकिन कुछ महिलाओं को सर्जरी का सुझाव दिया जाता है।

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बाइकॉर्नुएट गर्भाशय क्या है? ( What is Bicornuate Uterus in Hindi)

गर्भधारण करने के लिए महिलाओं में स्वस्थ गर्भाशय का होना जरूरी है। आमतौर पर महिलाओं का गर्भाशय नाशपाती (Uterine pear) के आकार का होता है, लेकिन कुछ महिलाओं में गर्भाशय दो सींगों वाला होता है, यानी कि दिल के आकार का होता है। गर्भाशय की यह परिस्थिति जन्मजात होती है, जिसमें मुलेरियन नलिकाओं के संलयन में हानि के कारण उत्पन्न होती है। डेवलपमेंट फेज में मुलेरियन नलिकाओं का पार्शियल फ्युजन इस परिस्थिति के लिए जिम्मेदार होता है।

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय (Bicornuate Uterus)के बारे में अधिकतर महिलाओं को जानकारी नहीं होती है, उन्हें इस परिस्थिति के बारे में गर्भधारण करने के बाद या फिर तो बार बार गर्भपात की दिक्कत के बाद पता चलता है।

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बाइकॉर्नुएट गर्भाशय के प्रकार (Types of Bicornuate Uterus in Hindi )

 आमतौर पर बाइकॉर्नुएट गर्भाशय दो प्रकार के होते हैं। दोनों ही प्रकार जन्मजात होते हैं।

1. बाइकॉर्नुएट युनिकोलिस गर्भाशय : (bicornuate unicollis uterus) इस परिस्थिति में गर्भाशय में सिर्फ एक ही गर्भाशय ग्रीवा होती है लेकिन सबसे उपर एक इंडेंटेंशन (Indentation)होता है, जो दो सींग वाला दिखता है।

2. बाइकॉर्नुएट बाइकोलिस गर्भाशय : (bicornuate bicollis uterus) इस परिस्थिति में दो गर्भाशय ग्रीवा होती है, जिसमें गर्भाशय दो भागों में विभाजित होता है।

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय का कारण ( Causes of Bicornuate Uterus in Hindi )

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय (Bicornuate Uterus) जन्मजात होता है, जिसका अर्थ है कि महिला का गर्भ जन्म से ही इस तरह है। किसी भी बच्ची का गर्भाशय महिला के गर्भाशय में हीं विकसित होता है। विकास के दौरान मुलेरियन नलिकाएं एक साथ मिलकर एक गर्भाशय गुहा बनाती हैं। लेकिन बाइकॉर्नुएट गर्भाशय के मामले में नलिकाएं पूरी तरह से विलय नहीं होती है जिसकी वजह से दो गर्भाशय गुहाओं का निर्माण हो जाता है। जिसकी वजह से दो सींग वाले गर्भाशय का निर्माण होता है, जो दिल के आकार का दिखता है।

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बाइकॉर्नुएट गर्भाशय के लक्षण (Symptoms of Bicornuate Uterus in Hindi )

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय के कई लक्षण (Bicornuate Uterus Symptoms) देखने को मिल सकते हैं, लेकिन अधिकतर महिलाओं को इसका पता तब हीं चलता है जब वह गर्भवती होती है। आमतौर पर बाइकॉर्नुएट गर्भाशय (Bicornuate Uterus) में निम्नलिखित लक्षण दिखने को मिल सकते हैं।

• अनियमित पीरियड्स : बाइकॉर्नुएट गर्भाशय की वजह से महिला को गंभीर क्रैंप्स के साथ अनियमित पीरियड्स (Irregular periods) या हेवी ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।

• इनफर्टिलिटी : इस परिस्थिति में कई महिलाओं को इनफर्टिलिटी (Infertility) की समस्या भी हो सकती है, क्योंकि गर्भाशय के असामान्य आकार की वजह से फर्टाइल एग भ्रूण (Fertile Egg Embryo) में विकसित होने में समस्या हो सकती है।

• बार बार गर्भपात : बाइकॉर्नुएट गर्भाशय के मामलों में गर्भधारण करने के बाद कई बार गर्भ सामान्य रूप से विकसित नहीं हो पाता है, ऐसे में बार बार गर्भपात (Recurrent miscarriage) की समस्या हो सकती है।

• वेजाइनल ब्लीडिंग : पीरियड्स के बिना भी बाइकॉर्नुएट गर्भाशय की परिस्थिति में ब्लीडिंग(Vaginal bleeding) हो सकती है।

• सेक्स के दौरान दर्द : (Pain during sex)बाइकॉर्नुएट गर्भाशय की परिस्थिति में सेक्स के दौरान गंभीर दर्द से गुजरना पड़ सकता है इनमें से कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श करें।

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बाइकॉर्नुएट गर्भाशय का निदान कैसे किया जाता है ( How to diagnosis bicornuate uterus in Hindi)

गर्भाशय के आकार और उसकी असामान्यता को जानने के लिए डॉक्टर कई तरह के परिक्षण करने के लिए कह सकते हैं।

• अल्ट्रासाउंड : गर्भाशय के आकार और संरचना का आकलन करने के लिए अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) किया जाता है, इसमें गर्भाशय की किसी भी तरह की असामान्यता की जानकारी मिलती है।

• MRI : इस प्रक्रिया के जरिए शरीर की आंतरिक संरचनाओं को जानने में मदद मिलती है। जिससे गर्भाशय के आकार का पता लगाया जा सकता है।

• पेल्विक परिक्षण : गर्भाशय के आकार को जानने के लिए पेल्विक परिक्षण (pelvic examination) किया जा सकता है।

 डायग्नोस्टिक लैप्रोस्कोपिक : इसके माध्यम से पेल्विक अंगों की जांच करने में मदद मिलती है।

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय से जुड़े स्वास्थ्य जोखिम ( Risk factors in Bicornuate Uterus in Hindi)

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय मां और बच्चे दोनों के लिए कई जोखिम का कारण बन सकता है।

• प्रीमेच्योर डिलीवरी : गर्भाशय का आकार असामान्य होने की वजह से समय से पहले ही बच्चे का जन्म हो सकता है, जिसका असर बच्चे के विकास पर भी पड़ता है।

• जन्मजात विसंगतियां : प्रीमेच्योर डिलीवरी (premature delivery) की वजह से बच्चे का विकास बाधित हो सकता है जिसके कारण अविकसित अंगों, कमजोर इम्यून सिस्टम, जन्मजात विसंगतियों का जोखिम बढ़ जाता है।

• सी सेक्शन : बाइकॉर्नुएट गर्भाशय (Bicornuate Uterus)में बच्चे का विकास ब्रीच पुजिशन में होता है, ऐसे में डॉक्टर को सी सेक्शन का सहारा लेना पड़ सकता है।

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय का उपचार (Bicornuate Uterus Treatment in Hindi)

अगर किसी महिला को बार बार गर्भपात हुआ है और उसे बाइकॉर्नुएट गर्भाशय (bicornuate uterus)हैं तो डॉक्टर उन्हें स्ट्रैसमैन मेट्रोप्लास्टि नामक सर्जरी (Strassmann Metroplasty Surgery) का सुझाव दे सकते है। जिसमें दोनों गुहाओं को मिलाकर गर्भाशय बनाया जाता है। हालांकि इस सर्जरी में गर्भाशय फटने का खतरा भी हो सकता है।

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय में इनफर्टिलिटी की शिकायते भी रहती है, इस परिस्थिति में आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) भी अच्छा विकल्प बन सकता है।

निष्कर्ष 

आमतौर पर महिलाओं का गर्भाशय नाशपाती के आकार का होता है लेकिन कुछ मामलों में महिला का गर्भाशय दिल आकार का होता है। जिसे बाइकॉर्नुएट गर्भाशय (Bicornuate Uterus in Hindi) कहते हैं। ऐसी परिस्थिति में गर्भधारण करने में दिक्कतो का सामना करना पड़ सकता है। कभी कभी बार बार गर्भपात के दर्द से भी गुजरना पड़ सकता है। ऐसे में डॉक्टर से परामर्श करें और उनके सुझाव का पालन करें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या बाइकॉर्नुएट गर्भाशय वाली महिलाएं गर्भधारण कर सकती है?

हां, बाइकॉर्नुएट गर्भाशय वाली महिलाएं भी गर्भधारण कर सकती है। हालांकि इसमें काफी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। इन जटिलताओं से बचने के लिए डॉक्टर से परामर्श करें और गर्भधारण करने के बाद नियमित जांच करवाना जरूरी है।

बाइकॉर्नुएट यूटेरस के लिए फर्टिलिटी ट्रीटमेंट क्या है?

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय की वजह से अगर किसी महिला को बार बार गर्भपात हुआ है तो उन्हें आईवीएफ तकनीक का सुझाव दिया जाता है।

बाइकोर्नेट गर्भाशय सर्जरी की सफलता दर क्या है?

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय की परिस्थिति में महिला को स्ट्रैसमैन मेट्रोप्लास्टि नामक सर्जरी का सुझाव दिया जा सकता है, लेकिन इस सर्जरी में भी कई जोखिम मौजूद हैं। इसलिए बाइकॉर्नुएट गर्भाशय का निदान होते ही डॉक्टर से परामर्श करके की उसका इलाज कराना जरूरी है।

लोगों को बाइकोर्नुएट गर्भाशय क्यों होता है?

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय महिलाओं में जन्मजात होता है। जब बच्ची गर्भ में हो तब हीं उनके गर्भाशय का भी विकास होता है, लेकिन कुछ मामलों में गर्भाशय ठीक से विकसित नहीं हो पाता, जिसकी वजह से बाइकॉर्नुएट गर्भाशय की परिस्थिति उत्पन्न होती है।

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय में बच्चे का विकास कैसे होता है?

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय में बच्चा ब्रीच की पुजिशन में रहता है, जिसका अर्थ है कि जन्म से पहले उसका निचला हिस्सा या पैर नीचे की ओर रहते हैं। जिसकी वजह से कभी कभी डॉक्टर को डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन की मदद लेनी पड़ती है।

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय में बच्चे का विकास कैसे होता है?

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय में बच्चा ब्रीच की पुजिशन में रहता है, जिसका अर्थ है कि जन्म से पहले उसका निचला हिस्सा या पैर नीचे की ओर रहते हैं। जिसकी वजह से कभी कभी डॉक्टर को डिलीवरी के लिए सी-सेक्शन की मदद लेनी पड़ती है।

भारत में बाइकॉर्नुएट गर्भाशय के साथ गर्भावस्था का सफलता दर कितना है?

बाइकॉर्नुएट गर्भाशय वाली महिलाओं में गर्भधारण की कुल सफलता दर आमतौर पर अलग अलग होती है, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक यह दर 60-70% रहता है।

Bicornuate गर्भाशय सर्जरी लागत

बाइकोर्न्यूट गर्भाशय के लिए सर्जरी की लागत कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि:
सर्जरी का प्रकार (लापरोस्कोपिक या ओपन)
सर्जन का अनुभव
अस्पताल की सुविधाएं
स्थान
सटीक लागत के लिए आपको एक प्रजनन विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।

Bicornuate Uterus IVF Success Rates

IVF की सफलता दर बाइकोर्न्यूट गर्भाशय वाली महिलाओं में अलग-अलग हो सकती है। कई कारक प्रभावित करते हैं, जैसे कि महिला की उम्र, अंडाशय का रिजर्व, गर्भाशय की गंभीरता, और अन्य स्वास्थ्य स्थितियां।
सफलता की दर बढ़ाने के लिए एक अनुभवी प्रजनन विशेषज्ञ के साथ उपचार योजना बनाना महत्वपूर्ण है।

Dr Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

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