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Endometriosis in Hindi: एंडोमेट्रियोसिस क्या है? लक्षण और बचाव

एंडोमेट्रियम मीनिंग इन हिंदी एंडोमेट्रियोसिस नाम “एंडोमेट्रियम” शब्द से आया है। (Endometriosis meaning in Hindi) एंडोमेट्रियोसिस युटरस (गर्भाशय) में होने वाली एक समस्या है। जो शरीर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती है। 30 से 40 साल की महिलाओं यह होना आम है। इसकी वजह से महिला को गर्भधारण करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। गर्भधारण करने में बार बार असफलता मिल रही हो तो उसके लिए एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis in Hindi) की समस्या जिम्मेदार हो सकती है। भारत में हर साल 1 करोड़ से भी अधिक महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस से ग्रस्त होती है।

एंडोमेट्रियोसिस क्या है (What is Endometriosis in Hindi)

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अक्सर लोगो के दिमाग में प्रशन रहता है की एंडोमेट्रियोसिस क्या है अगर गर्भधारण करने में बार बार असफलता मिले तो उसके लिए कई समस्या जिम्मेदार हो सकती है, उनमे से एक है एंडोमेट्रियोसिस। यह महिलाओं के गर्भाशय में होती है। इसमें गर्भाशय के अंदर के टिशू गर्भाशय के बहार फैलने लगते है। गर्भधारण करने के लिए ओवरी से एग फैलोपियन ट्यूब के जरिए गर्भाशय में पहुंचता है लेकिन एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) की वजह से फैलोपियन ट्यूब और ओवरी (अंडाशय) में भी टिशू फैलने लगते है। इसकी वजह से तेज दर्द होता है और गर्भधारण करने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

आमतौर पर यह टिशू पीरियड्स के समय बाहर निकल जाते हैं, लेकिन जब यह बाहर नहीं निकल पाते तब यह समस्या उत्पन्न होती है। इस स्थिति में ओवरी, फैलोपियन ट्यूब के साथ साथ पेल्विस की लाइनिंग करने वाले टिशू भी प्रभावित होते हैं। पीरियड्स के समय यह टिशू मोटा होने लगता है। इस टिशू के पास बहार निकलने का रास्ता न होने के कारण यह शरीर के बाहर नहीं निकल पाते और फंस जाते हैं। इससे सिस्ट बनने की संभावना भी बढ़ जाती है।

आप हमारे (Endometriosis in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे की एंडोमेट्रियोसिस क्या है , लक्षण और बचाव इस बारे में बहुत ही विस्तार से बताने वाले हैं।

एंडोमेट्रियोसिस के प्रकार (Types of Endometriosis in Hindi)

एंडोमेट्रियोसिस मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं –

1. सुपरफीशियल पेरिटोनियम लेश्य

2. एंडोमेट्रियोमा (ओवेरियन लेश्यन)

3. डीपली इंफिल्ट्रेटिंग एंडोमेट्रियोसिस

• सुपरफीशियल पेरिटोनियम लेश्य : पेरिटोनियम एक पतली मेम्ब्रैन होती है जो पेट और पेल्विस को रेखाबद्ध करती है। यह इन गुहाओं के ज्यादातर अंगों को भी कवर करता है। इस प्रकार में एंडोमेट्रियल टिशू पेरिटोनियम से जुड़ जाता है। हालांकि की यह प्रकार गंभीर नहीं होता है।

• एंडोमेट्रियोमा (ओवेरियन लेश्यन) : यह यह काले और तरल प्रवाही से भरे सिस्ट होते हैं। इन्हें चॉकलेट सिस्ट भी कहां जाता है। इनके आकार अलग अलग हो सकते हैं। यह शरीर के अलग अलग भाग जैसे की पेल्विस या पेट में दिखाई देते हैं लेकिन ज्यादा इन्हें ओवरी में देखा जाता है।

• डीपली इंफिल्ट्रेटिंग एंडोमेट्रियोसिस : यह एंडोमेट्रियोसिस टिशू पेल्विस गुहा के अंदर या बाहर के अंगो पर आक्रमण करता है, जैसे कि ओवरी, मलाशय, मूत्राशय और आंतें। यह काफी दुर्लभ है। इसमें बहुत सारे स्कार टिशु अंगों को बांध लेते हैं, जिससे वे अपनी जगह पर फंस जाते हैं। इस स्थिति को फ्रोज़न पेल्विस कहां जाता है। लेकिन ऐसी स्थिति 1% से 5% लोगों में हीं पाए जाती है।

एंडोमेट्रियोसिस होने के कारण (Causes of Endometriosis in Hindi)

1. रेट्रोग्रेड पीरियड्स : आमतौर पर पीरियड्स के दौरान ब्लीडिंग के साथ साथ एंडोमेट्रियल कोशिकाएं शरीर से बाहर निकल जाती है लेकिन रेट्रोग्रेड पीरियड्स की स्थिति में यह कोशिकाएं बाहर नहीं निकल पाती और पेल्विस गुहा में प्रवाहित होने लगती है। यह कोशिकाएं पेल्विक अंगों पर चिपक जाती है और पीरियड्स के दौरान यह मोटी होती जाती है।

2. सर्जरी : अगर आपने हिस्टरेक्टॉमी या सी-सेक्शन जैसी सर्जरी के बाद एंडोमेट्रियल कोशिकाएं सर्जिकल स्कार से जुड़ सकती है।

3. पेरिटोनियल कोशिकाओं में परिवर्तन : प्यूबर्टी के दौरान पेट के अंदरूनी भाग को रेखांकित करने वाली पेरिटोनियल कोशिकाओं में परिवर्तन होने के कारण एंडोमेट्रियोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन शुरूआती अवस्था में भ्रूण की कोशिकाओं को परिवर्तित कर सकते हैं।

4. कमजोर इम्यून सिस्टम : अगर किसी की इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) कमजोर हो तो वह एंडोमेट्रियल टिशू को पहचानने और उसे नष्ट करने में असमर्थ होने पर यह स्थिति उत्पन्न होती है।

इसके अलावा महिला की आयु, परिवार का इतिहास, गर्भावस्था का इतिहास, पीरियड्स का इतिहास भी एंडोमेट्रियोसिस के लिए जिम्मेदार हो सकता है  

एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण (Symptoms of Endometriosis in Hindi)

  • पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा दर्द होना
  • पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना
  • बिना पीरियड्स के पेल्विस के हिस्से में दर्द होना
  • कब्ज, थकान, दस्त, सूजन का अनुभव होना
  • सेक्स के दौरान दर्द होना
  • युरीन में खून आना, गुदा से खून आना
  • बांझपन

और पढ़े : पीरियड्स के लक्षण और उपचार

एंडोमेट्रियोसिस का सही निदान (Diagnosing Endometriosis in Hindi)

असामान्य लक्षण के चलते डॉक्टर आपका मेडिकल और परिवार का इतिहास के बारे में पूछ सकते हैं, इसके बाद आपको निम्नलिखित जांच के लिए कह सकते हैं।

1. पेल्विक जांच : इस जांच के दौरान गर्भाशय में सिस्ट या निशान की मैन्युअल तरीके से जांच करेंगे।

2. अल्ट्रासाउंड : ओवेरियन अल्सर की जांच करने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड कर सकते हैं। इसमें डॉक्टर योनि के जरिए एक लकड़ी के आकार का स्कैनर डाल सकते हैं या फिर सोनोग्राफी की तरह स्कैनर को पेट पर चला सकते हैं।

3. लेप्रोस्कोपी : एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण की जांच करने के लिए डॉक्टर लेप्रोस्कोपी का सुझाव दे सकते है।

4. दवा : डॉक्टर हार्मोनल बर्थ कंट्रोल पिल्स दे सकते है। जिससे पीरियड्स के दौरान दर्द कम हो सकता है। अगर इस दवा से दर्द ठीक हो जाए तो महिला को एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है।

एंडोमेट्रियोसिस के दौरान खानपान (Diet Tips for Endometriosis in Hindi)

  • ताजे फल और सब्जियां
  • ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे की सैल्मन और अखरोट
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं।
  • नियमित रूप से व्यायाम, योगा और ध्यान करें।
  • एंटी-इंफ्लेमेटरी आहार का सेवन करें।
  • आर्गेनिक खाद्य पदार्थ चुनें।
  • ऐंठन से छूटकारा पाने के लिए रोजाना एक या दो कप रास्पबेरी की पत्ती की चाय पीएं।

एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या करना चाहिए?

  • फैट और वसा की मात्रा ज्यादा हो वैसे आहार जैसेकि बीफ का सेवन न करें
  • शराब, सोडा और कैफीन के सेवन से बचें
  • 3 सप्ताह तक डेयरी पदार्थ से दूर रहें
  • ट्रांस वसा का सेवन न करें

एंडोमेट्रियोसिस का इलाज (Treatment of Endometriosis in Hindi)

एंडोमेट्रियोसिस को ठीक करने के लिए आप गर्म सिकाई, कैस्टर ऑयल से मालिश, हल्दी, पेल्विक मसाज, अदरक की चाय जैसे घरेलू उपचार आजमा सकते हैं, लेकिन लक्षण में सुधार न होने पर तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श करें। डॉक्टर आपको निम्नलिखित इलाज के लिए कह सकते हैं।

• पेन किलर : डॉक्टर आपको पेन किलर दवाई या फिर नॉन स्टेराइडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स दे सकते है।

• हार्मोन थेरेपी : शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा कम करने के लिए हार्मोन थेरेपी दी जा सकती है। बर्थ कंट्रोल पिल्स, वजाइनल रिंग्स, डानाजौल भी दे सकते है।

• सर्जरी : अगर एंडोमेट्रियोसिस की वजह से दर्द बढ़ जाता है तो डॉक्टर कंजर्वेटिव सर्जरी, पारंपरिक और लैप्रोस्कोपिक सर्जरी का सुझाव दे सकते है।

और पढ़े : बांझपन क्या है — प्रकार और कारण

एंडोमेट्रियोसिस को कैसे रोकें (How to Prevent Endometriosis in Hindi)

शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन के बढ़ने के कारण एंडोमेट्रियोसिस की समस्या होती है और मोटापा एस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ने की सबसे बड़ी वजह माना जाता है, इसलिए नियमित रूप से व्यायाम करने एस्ट्रोजन हार्मोन को कम किया जा सकता है।

चाय, कोफी जैसे कैफीन युक्त पदार्थ और शराब भी शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का लेवल बढ़ा सकते हैं।

एंडोमेट्रियोसिस के इलाज के लिए अक्सर गर्भनिरोधक दवाइओका इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसके बारे में डॉक्टर से परामर्श करें।

निष्कर्ष

पीरियड्स के दौरान ज्यादा ब्लीडिंग होना, बहुत ज्यादा दर्द होना, पेल्विस के हिस्से में दर्द होना जैसे लक्षण एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis in Hindi) के संकेत हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

क्या एंडोमेट्रियोसिस खतरनाक है?

नहीं, एंडोमेट्रियोसिस ख़तरनाक नहीं है लेकिन इससे गर्भधारण करने में दिक्कत आ सकती है और पेल्विस और पेट के हिस्से में बहुत ज्यादा दर्द होता है।

एंडोमेट्रियोसिस का दर्द कब होता है?

 एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं को दर्द होता रहता है लेकिन पीरियड्स के दौरान यह दर्द बहुत ही ज्यादा बढ़ जाता है।

एंडोमेट्रियोसिस में क्या परहेज करना चाहिए?

 एंडोमेट्रियोसिस में बीफ, ट्रांस वसा वाले आहार, शराब, केफीन युक्त पदार्थ , सोडा आदी से परहेज करना चाहिए।

एंडोमेट्रियोसिस कैसे ठीक होता है?

 एंडोमेट्रियोसिस में आप गर्म सिकाई, योगा, व्यायाम जैसे घरेलू उपचार से या फिर गर्भनिरोधक दवाइयां और कभी कभी डॉक्टर सर्जरी का भी सुझाव दे सकते है।

एंडोमेट्रियोसिस होने पर क्या एक महिला गर्भवती हो सकती है?

 एंडोमेट्रियोसिस का हल्का स्तर होने पर महिला गर्भवती हो सकती है लेकिन गंभीर मामलों में महिला को बांझपन का सामना करना पड़ सकता है।

Dr. Rashmi Prasad

Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

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