Female Infertility

Uterus Meaning in Hindi: जानिए गर्भाशय क्या है? लक्षण और उपचार

गर्भाशय, जिसे हमलोग इंग्लिश में (Uterus) कहते है, जो की महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गर्भाशय का अर्थ (uterus meaning in hindi) महिलाओं के प्रजनन और और उनके जीवन में संतान सुख प्राप्ति में अहम भूमिका निभाता है। गर्भाशय में ही भ्रूण का विकास होता है और जन्म तक यहीं उसका पालन-पोषण भी होता है। इसका आकार नाशपाती की तरह होता है, जो महिला के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होता है।

गर्भाशय क्या है? (Uterus Meaning in Hindi/Uterus in Hindi)

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आप हमारे (Uterus Meaning in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे की गर्भाशय क्या है? यानि की uterus kya hota hai और गर्भाशय की समस्याओं के लक्षण एवं गर्भाशय की समस्या का निदान कैसे करे।

गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो महिलाओं के शरीर में स्थित होता है। एवं जिसका मुख्य कार्य गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को सुरक्षित रूप से विकसित करने का होता है। गर्भाशय महिलाओं में मूत्राशय और मलाशय के बीच में पाया जाता है। गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है, एवं बच्चे के जन्म के बाद गर्भाशय वापस अपने मूल आकार में आ जाता है। इसलिए, गर्भाशय का सही अर्थ (uterus meaning in hindi) जानना महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए काफी जरूरी है।

गर्भाशय की संरचना (Structure of the Uterus in Hindi)

गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग है, इसका आकार नाशपाती जैसा होता है, और इसकी संरचना तीन मुख्य भागों में बंटी होती है:

  • गर्भाशय ग्रीवा (Cervix): गर्भाशय का निचला हिस्सा, मासिक धर्म के दौरान रक्त के प्रवाह को भी नियंत्रित करता है।
  • गर्भाशय का शरीर (Uterine Body): गर्भाशय का मुख्य हिस्सा, जो प्रसव के दौरान संकुचन में सहायक होती हैं।
  • गर्भाशय गुहा (Uterine Cavity): गर्भाशय के भीतर का खोखला हिस्सा, जो गर्भावस्था के दौरान पोषण और सुरक्षा प्रदान करती है।

गर्भाशय की दीवार तीन परतों से बनी होती है:

  • एंडोमेट्रियम (Endometrium): यह गर्भाशय की सबसे अंदरूनी परत है,
  • मायोमेट्रियम (Myometrium): यह मांसपेशीय परत है
  • पेरिमेट्रियम (Perimetrium): यह बाहरी परत है

गर्भाशय का कार्य क्या है? (What is the Function of the Uterus)

गर्भधारण करने के लिए गर्भाशय का होना अति आवश्यक है। गर्भाशय में हीं भ्रूण विकसित होता है, एवं गर्भाशय में हीं उसका पालन पोषण होता है। बच्चे के जन्म के दौरान भी गर्भाशय की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है।

इसके कुछ मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • भ्रूण का विकास (Development of Embryo): गर्भाशय भ्रूण के विकाश के साथ – साथ उसे पोषण और सुरक्षा भी प्रदान करता है।
  • मासिक धर्म चक्र (Menstrual Cycle): गर्भाशय मासिक धर्म चक्र एवं महिला के हार्मोनल स्वास्थ्य को भी संतुलित रखने में काफी सहायक होता है।
  • प्रसव में सहायता (Assistance in Childbirth) :गर्भाशय का लचीलापन प्रसव के दौरान काफी सहायक बनाती है।
  • प्रजनन अंगों का समर्थन (Support for Reproductive Organs): गर्भाशय अन्य प्रजनन अंगों जैसे अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब को सहारा देता है और उनके कार्य में।

गर्भाशय कैसा दिखता है? (How Does Uterus Look Like)

गर्भाशय, जिसे हम लोग इंग्लिश में uterus भी कहते हैं, एक नाशपाती के आकार का अंग होता है जो महिला प्रजनन प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है। गर्भाशय को मुख्यतः 3 भागों में बँटा होता है, जिसमे की ऊपरी भाग को फंगल कहा जाता है। जिसे अंग्रेज़ी में fundus भी कहते है, एवं उसका मध्य भाग जिसे corpus कहा जाता है, और इसके नीचे का भाग जिसे cervix कहते है। यह शरीर के निचले पेट के हिस्से में स्थित होता है और एक मोटी मांसपेशियों से बना होता है। गर्भाशय की दीवारें लचीली होती हैं, जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास के लिए पर्याप्त जगह बनाती हैं।

आपके शरीर में गर्भाशय कहाँ स्थित है? (Where is the Uterus Located in the Body)

गर्भाशय महिला के शरीर में निचले पेट के , पेल्विस क्षेत्र के बीचोंबीच में स्थित होता है। यह मूत्राशय के ठीक ऊपर और मलाशय के सामने की ओर पाया जाता है। जो महिला प्रजनन प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह अंडाणु से मिलने वाले शुक्राणु और फिर निषेचित अंडाणु के सुरक्षित विकास के लिए जगह प्रदान करता है। इसकी स्थिति ऐसी होती है कि गर्भावस्था के दौरान जब भ्रूण का विकास होता है, तो गर्भाशय लचीलेपन के साथ फैलता है एवं बच्चे के लिए पर्याप्त स्थान बनाता है।

गर्भाशय किससे बना है? (What is the Uterus Made From)

गर्भाशय, जीवनदायी अंग महत्वपूर्ण महिला जननांग है। जो कि मुख्य रूप से मांसपेशियों और बॉयलर से बना होता है। यह मांसपेशियों से भरी हुई होती है जो गर्भ को संभालती हैं, एवं गर्भाशय की दीवारें तीन प्रमुख परतों में विभाजित होती हैं:

  • एंडोमीट्रियम (Endometrium): यह गर्भाशय की आंतरिक परत है, मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल परिवर्तनों के कारण मोटी और पतली होती है।
  • मायोमीट्रियम (Myometrium): यह मांसपेशियों की परत है, जो गर्भाशय को मजबूती प्रदान करती है।
  • परियोजा (Perimetrium): यह गर्भाशय की बाहरी परत है, जो इसे अन्य अंगों को सुरक्षा प्रदान करती है।

आपका गर्भाशय कितना बड़ा है? (What is Uterus Size)

गर्भाशय का आकार हर महिला में भिन्न हो सकता है, लेकिन सामान्यतः यह एक नाशपाती के आकार का होता है। गर्भाशय की लंबाई आमतौर पर 7 से 10 सेंटीमीटर (लगभग 3 से 4 इंच) होती है और चौड़ाई लगभग 5 से 7 सेंटीमीटर (लगभग 2 से 3 इंच) होती है। गर्भावस्था के दौरान, गर्भाशय का आकार बढ़ता है, क्योंकि यह भ्रूण के विकास के लिए जगह बनाता है।

महिलाओं के जीवन में काफी महत्वपूर्ण अंग होता है। गर्भाशय केवल बच्चों को जन्म देने के साथ – साथ , उन्हें अनुभव करने में भी मदद करता है।

गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय कितना बड़ा होता है? (Uterus Size During Pregnancy)

गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का आकार धीरे-धीरे बढ़ता है, और इसका आकार बच्चे की संख्या पर भी निर्भर हो सकता है। जो भ्रूण के विकास के लिए जरूरी होता है। गर्भावस्था के दौरान बच्चे के लिए गर्भाशय का आकार उसके अनुरूप बढ़ता है। बच्चे के जन्म तक गर्भाशय 2 पाउंड तक का हो सकता है। बच्चे के जन्म के दौरान बच्चे को बहार निकालने के लिए गर्भाशय सिकुड़ता है। बच्चे के जन्म के 6 सप्ताह बाद महिला का गर्भाशय वापस अपने मूल आकार में भी आ जाता है।

गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में गर्भाशय का आकार:

  • पहला त्रैमास (1-3 महीने): पहले तीन महीनों में गर्भाशय धीरे-धीरे बढ़ता है,
  • दूसरा त्रैमास (4-6 महीने): इस चरण में गर्भाशय का आकार काफी बढ़ जाता है।
  • तीसरा त्रैमास (7-9 महीने): गर्भावस्था के अंतिम चरण में, गर्भाशय सबसे बड़ा आकार प्राप्त करता है।

गर्भाशय की समस्याएं क्या हैं? (Types of Uterine Health Issues)

गर्भधारण करने के लिए गर्भाशय होना जरूरी है, लेकिन कई बार गर्भाशय की कुछ समस्या इसमें बाधा डाल देती है, इसलिए आपको गर्भाशय संबंधित समस्याओं के बारे में जानना बहुत जरूरी है।

1. यूटेरो वैजाइनल प्रोलैप्स :  इस परिस्थिति में गर्भाशय को अपनी जगह पर रखने वाली मांसपेशियां कमजोर हो जाते है। जिसकी वजह से गर्भाशय नीचे खिसका जाता है और योनि से बाहर निकल आता है।

2. एंडोमेट्रियोसिस : एंडोमेट्रियोसिस में गर्भाशय की लाइनिंग बनाने वाले टिश्यू गर्भाशय के बहार विकसित होने लगते है।

3. गर्भाशय फाइब्रॉइड्स : गर्भाशय में फाइब्रॉइड यूटेरस का अर्थ (fibroid uterus meaning in Hindi) है कि गर्भाशय में गैर-कैंसरयुक्त गाँठें । लेकिन यह गांठ सामान्य होती है। फाइब्रॉइड्स की समस्या वैसे तो अपने आप ठीक हो जाती है लेकिन अगर दर्द जैसी कोई समस्या हो तो डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी है।

गर्भाशय की समस्याओं के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Fertility Disease in Uterus in Hindi)

  • अचानक युरिन निकल आना, युरिन पर बिल्कुल भी कंट्रोल न रहना, पीठ के निचले हिस्से में दर्द ये सब गर्भाशय की समस्याओं के लक्षण भी हो सकते है।
  • एंडोमेट्रियोसिस में टोयलेट जाते वक्त दर्द, डायरिया, कब्ज, पेल्विक एरिया में दर्द, पीरियड्स के दौरान दर्द जैसे लक्षण देखे जा सकते है।
  • गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स हो तो अनियमित पीरियड्स, हैवी ब्लीडिंग, पेल्विक एरिया में दर्द, सेक्स के दौरान दर्द, बार बार युरीन जाना, गर्भधारण करने में असफलता जैसे लक्षण आपको देखने को मिल सकते है।

गर्भाशय संबंधी कुछ सामान्य समस्याएं और उनके लक्षण

गर्भाशय महिलाओं के प्रजनन तंत्र का सबसे अहम अंग होता है। और हमने अपने ब्लॉग में गर्भाशय संबंधी समस्याएं और उनके लक्षण को बताये हैं। आइए, जानते है गर्भाशय संबंधी विभिन्न समस्याओं और उनके लक्षणों के बारे में ..

1. बड़ा गर्भाशय (Bulky Uterus): बड़े गर्भाशय (Bulky Uterus) का मतलब यह है की गर्भाशय का आकार सामान्य से थोरा बड़ा हो जाता है और इसके कुछ लक्षण दिखाई देते है : भारी मासिक धर्म , श्रोणि में दर्द, पेट में सूजन।

2. फाइब्रॉइड यूटेरस (Fibroid Uterus): गर्भाशय में छोटी-छोटी गैर-कैंसरयुक्त गाँठें बनने लगते है, जिससे कुछ लक्षण भी दिखाई देते है जैसे की : अत्यधिक रक्तस्राव, मूत्राशय पर दबाव।

3. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): इसमें गर्भाशय की आंतरिक परत बाहर बढ़ने लगती है, जिससे एंडोमेट्रियोसिस कुछ
लक्षण दिखाई देते है : तीव्र श्रोणि दर्द , दर्दनाक मासिक धर्म , बांझपन।

4. पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS): यह एक हार्मोनल समस्या है, जिस से अनियमित मासिक धर्म, चेहरे पर बालों की वृद्धि, वजन बढ़ना ये सब लक्षण नजर आते है ।

गर्भाशय की समस्याओं की जटिलताएं (Complications due to Fertility Disease of Uterus in Hindi)

गर्भाशय की समस्याओं की जटिलताएं महिलाओं के स्वास्थ्य को कई तरह से प्रभावित कर सकती हैं। यहाँ हमने गर्भाशय समस्याओं से उत्पन्न कुछ प्रमुख जटिलताओं के बारे में वर्णन किये है, आइये जानते :

1. अत्यधिक ब्लीडिंग (Heavy Bleeding): गर्भाशय में समस्याओं के कारण महिलाओं को अत्यधिक ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।

2. गर्भाशय फैब्रोएड्स (Uterine Fibroids): गर्भाशय में फैब्रोएड्स होने के कारण गर्भाशय में दर्द, भारी ब्लीडिंग, और प्रसव के दौरान तकलीफ होती है।

3. प्रसव के बाद की समस्याएं (Postpartum Complications): प्रसव के बाद भी गर्भाशय से जुड़ी कुछ समस्याएं आपको हो सकती हैं। जैसे की रक्तस्राव, संक्रमण, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

गर्भाशय की समस्याओं की जांच (Diagnosis of Fertility Disease in Uterus in Hindi)

1. फिजिकल एग्जाम: डॉक्टर आपकी गर्भाशय की जांच करता है, और साथ ही साथ युरिन और ब्लड टेस्ट भी करता है।

2. इमेजिंग परीक्षण: गर्भाशय की समस्याओं को चेक करने के लिए इमेजिंग परीक्षणों का उपयोग किया जाता है। जैसे की सोनोग्राफी, योनि ग्राफी, MRI और CT ये सब टेस्ट किया जाता है।

3. बायोप्सी : गर्भाशय की समस्याओं से निवारण के लिए का नमूना लेकर उसे लैब में जांच के लिए भेजा जाता है।

गर्भाशय की समस्याओं का उपचार (Treatment of Fertility Disease in Uterus in Hindi)

1. दवाओं का उपयोग: जांच के आधार पर गर्भाशय की समस्याओं का उपचार किया जाता है। हार्मोनल और गैर हार्मोनल दवाएं के जरिए भी उपचार किया जा सकता है।

2. रेडिएशन थेरेपी : गर्भाशय के कैंसर की परिस्थिति में रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग किया जाता है। और इस उपचार के इस्तमाल करके कैंसर को खत्म किया जाता है।

3. सर्जरी : ब्लोकेज जैसी समस्या के लिए सर्जरी एक विकल्प हो सकता है।

हालांकि उपचार की प्रक्रिया जांच पर निर्भर करती है। सहीं उपचार के लिए सही जांच होनी जरूरी है, इसलिए गर्भाशय संबंधित समस्याओं के लिए डॉ रश्मि प्रसाद से संपर्क करें, जो आपको जांच के साथ उपचार करने में सही मार्गदर्शन करेंगे।

गर्भाशय की समस्याओं के लिए सही आहार

गर्भाशय का स्वस्थ होना महिलाओं के जीवन में काफी ज़रूरी है, इसलिए स्वस्थ आहार लेने से गर्भाशय की समस्याओं से बच सकते है। यहाँ कुछ हमने ऐसे आहार के बारे में बताये है, आइये जानते है।

1. फल और सब्जियां : सब्जियों और फल गर्भाशय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसलिए आपको टमाटर, गाजर, स्ट्रॉबेरी और विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

    2. सुबह के वक्त शहद और नींबू का पानी : सुबह शहद और नींबू पानी का सेवन करने से शरीर के टोक्सिन को दूर करने में मदद मिलती है।

    3. ग्रीन टी एवं पौष्टिक अनाज : ग्रीन टी और पौष्टिक अनाज आपके लिए फायदेमंद हो सकते हैं।

    और पढ़े : Pregnancy Symptoms in Hindi

    निष्कर्ष

    संतान प्राप्ति के लिए गर्भाशय एक महत्वपूर्ण अंग है। गर्भाशय, जिसे वोंब या womb भी कहा जाता है, आपको अपनी स्वास्थ्य का सम्पूर्ण ख्रयाल खना चाहिए और गर्भाशय समस्याओं के लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। इसलिए रेग्युलर चेकअप कराना जरूरी है। गर्भाशय (Uterus meaning in Hindi) से संबंधित कोई भी समस्या हो तो तुरंत ही डॉक्टर से परामर्श करें और जरूरी जांच करवाएं। गर्भाशय की समस्याओं से बचने के लिए, सेहतमंद खानपान एवं स्वस्थ जीवनशैली साथ ही साथ व्यायाम करना, स्ट्रेस कम करना, अनियमित पीरियड्स से बचना, सेक्स से संबंधित सुरक्षा का भी ध्यान रखना इन सब से गर्भाशय की समस्याओं से बचा जा सकता है।

    अगर आप गर्भाशय से संबंधित कोई भी समस्या से गुजर रहे है तोह आज ही संपर्क करे दिव्य वात्सल्य ममता Fertility Center in Bihar में, हम आपके माता-पिता बनने के सपने को साकार करते है एवं सभी समस्या एवं प्रजनन क्षमता की जटिलताओं को समझते हैं और आवश्यकताओं के अनुसार उपचार प्रदान करते हैं।

    और पढ़े :

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    गर्भाशय बड़ा होने पर क्या होता है?

    गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय का बड़ा होना आम बात है। बच्चे के विकास के लिए यह जरूरी भी है। पीरियड्स के दौरान भी गर्भाशय के आकार में बदलाव होता है।

    कैसे पता चलेगा कि बच्चेदानी में सूजन है?

    पेट में दर्द, कब्ज, गैस जैसे लक्षण बच्चेदानी के सूजन की तरफ इशारा करता है।

    पीरियड के दौरान गर्भाशय कितना फैलता है?

    पीरियड्स के दौरान गर्भाशय के आकार में थोड़ी वृद्धि होती है।

    गर्भाशय को निकलवाने की जरूरत कब पड़ती है?

    हैवी ब्लीडिंग, बार बार पीरियड्स शुरू हो जाना या गर्भाशय संबंधित गंभीर समस्याओं के चलते गर्भाशय को निकलवाने की जरूरत पड़ती है।

    क्या मैं बिना गर्भाशय के गर्भवती हो सकती हूं?

    गर्भधारण करने के लिए गर्भाशय का होना अति आवश्यक है। गर्भाशय में ही भृण एक बच्चे के रूप में विकसित होता है और बच्चे के जन्म तक उसका पालन पोषण भी गर्भाशय में हीं होता है।

    क्या कोई महिला बिना गर्भाशय के भी पैदा हो सकती है?

    हां, ऐसी कई महिलाएं होती है जो गर्भाशय के बिना पैदा होती है। इस परिस्थिति को ‘मेयर-रोकितांस्की कुस्टर-हॉसर सिंड्रोम (एमआरकेएच) कहा जाता है। इस स्थिति में योनि का विकास भी ठीक से नहीं होता है, इससे सभी प्रजनन संबंधित कार्य बाधित हो जाते है।

    बच्चेदानी खराब होने के क्या लक्षण होते हैं

    असामान्य रक्तस्राव
    पेट में दर्द
    योनि स्राव
    पेशाब करने में बार-बार जाना
    कब्ज
    पेट में सूजन
    थकान
    वजन कम होना

    गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई

    गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई एक पुरानी अवधारणा है जिसे अब गलत माना जाता है। आधुनिक चिकित्सा में, गर्भाशय को स्वाभाविक रूप से साफ होने देने की सलाह दी जाती है।

    गर्भाशय खराब होने के लक्षण

    असामान्य रक्तस्राव
    पेट में दर्द
    योनि स्राव
    पेशाब करने में बार-बार जाना
    कब्ज
    पेट में सूजन
    थकान
    वजन कम होना

    गर्भाशय में उपचार टीबी के बाद गर्भधारण

    यदि आपको टीबी हो चुका है, तो गर्भधारण करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है। टीबी का इलाज करने के बाद, गर्भवती होने में कोई खतरा नहीं होता है।

    गर्भाशय कैंसर के लक्षण और उपचार

    गर्भाशय कैंसर के लक्षणों में असामान्य रक्तस्राव, पेट में दर्द, और योनि स्राव शामिल हैं। उपचार में सर्जरी और कीमोथेरेपी शामिल हो सकते हैं।

    कैसे बढ़े हुए गर्भाशय कम करने के लिए

    बढ़े हुए गर्भाशय को कम करने के लिए कई तरीके हैं, जैसे:
    वजन कम करना
    व्यायाम करना
    हार्मोनल थेरेपी
    सर्जरी

    Dr. Rashmi Prasad

    Dr. Rashmi Prasad is a renowned Gynaecologist and IVF doctor in Patna. She is working as an Associate Director (Infertility and Gynaecology) at the Diwya Vatsalya Mamta IVF Centre, Patna. Dr. Rashmi Prasad has more than 20 years of experience in the fields of obstetrics, gynaecology, infertility, and IVF treatment.

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