FSH Test in Hindi: एफएसएच टेस्ट क्या है? और कब किया जाता है?
फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हॉरमोन (FSH) टेस्ट एक महत्वपूर्ण रक्त परीक्षण है, जिसका उपयोग शरीर में फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) और हार्मोनल बैलेंस को मापने के लिए किया जाता है। ब्लड या यूरिन में FSH (FSH Test in Hindi) के लेवल के जरिए प्रजनन स्वास्थ्य और फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं के निदान किया जाता है। एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर की जांच के लिए भी FSH test किया जाता है। यह एक ऐसा हार्मोन हैं जो कुछ कोशिकाओं या अंगो की गतिविधियों को नियंत्रित करता है। इतना ही नहीं FSH बच्चों में यौन विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
FSH क्या है? (What is FSH Test in Hindi)
In this Article
FSH महिलाओं में मासिक चक्र को नियंत्रित करता है। यह ओवरी में एग्स के उत्पादन को उत्तेजित करता है और उसे ओवुलेशन के लिए तैयार करता है। जबकि पुरुषों में FSH टेस्टिकल द्वारा निर्मित स्पर्म की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है। बच्चों में युवावस्था शुरू होने तक एफएसएच का लेवल कम रहता है। जिसके बाद अन्य हार्मोन के साथ FSH का लेवल भी बढ़ने लगता है। इन सभी हार्मोन की वजह से युवावस्था में शारीरिक बदलाव शुरू हो जाते हैं।
यह हार्मोन पुरूषों में प्यूबर्टी के समय से बढ़ने लगता है जबकि महिलाओं में पीरियड्स के हिसाब इसका लेवल बदलता रहता है।
आप हमारे (FSH Test in Hindi) ब्लॉग को पूरा पढ़ने के बाद आप अछे तरीके से समझ जायेंगे एफएसएच टेस्ट क्या है? और कब किया जाता है? इस बारे में बहुत ही विस्तार से बताने वाले हैं।
FSH टेस्ट कैसे काम करता है? (How Does FSH Test Work)
FSH test की मदद से इनफर्टिलिटी, अनियमित पीरियड्स, ओवेरियन डिसऑर्डर, पिट्यूटरी ग्रंथि में विकार, लो स्पर्म काउंट, टेस्टिक्यूलर डिस्फंक्शन जैसी स्थितियों का निदान किया जाता है। इसके साथ ही डॉक्टर LH, एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन टेस्ट करने के लिए भी कह सकते हैं। इस टेस्ट से गर्भधारण करने में आ रहीं समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है।
FSH टेस्ट क्यों किया जाता है? (Why is the FSH Test Done)
इनफर्टिलिटी, अनियमित पीरियड्स, पिट्यूटरी ग्रंथि में विकास, मेनोपॉज, तरूणावस्था जल्दी या देरी से शुरू होना जैसी समस्याओं के निदान के लिए FSH test किया जाता है। शरीर में मौजूद फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन के लेवल को मापने के लिए भी यह टेस्ट किया जाता है। कई प्रयासों के बाद भी अगर महिला को गर्भधारण करने सफलता न मिले तब उनके साथ हीं उनके पार्टनर का भी FSH टेस्ट किया जाता है। इसके अलावा पुरुषों में स्पर्म काउंट या फिर सेक्स ड्राइव कम होने पर यह टेस्ट किया जाता है। आइये जानते है, FSH test किन अवस्था में किया जा सकता है…
1. प्रजनन स्वास्थ्य : महिलाओं में मासिक चक्र, प्रजनन क्षमता संबंधित समस्याओं के लिए और पुरुषों में स्पर्म प्रोडक्शन, टेस्टिकुलर हेल्थ और फर्टिलिटी की जानकारी के लिए यह टेस्ट किया जाता है।
2. प्यूबर्टी : बच्चों में समय से पहले युवावस्था शुरू हो जाए या फिर युवावस्था शुरू होने में देरी हो तो उसके निदान के लिए डॉक्टर इस टेस्ट के लिए कह सकते हैं।
3. पिट्यूटरी ग्रंथि के विकार : पिट्यूटरी या फिर हाइपोथैलेमस में क्षति या बीमारी की जांच करने में यह टेस्ट मदद करता है।
4. ओवरी संबंधित समस्या : पोलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम, ओवेरियन सिस्ट, ओवेरियन ट्यूमर, थाइराइड जैसे समस्या के लिए भी यह टेस्ट किया जाता है।
FSH Test की प्रक्रिया (Procedure of FSH Test in Hindi)
आपके हेल्थ केयर प्रोवाइडर FSH की जांच के लिए ब्लड या फिर यूरिन टेस्ट किया जा सकता हैं।
1. ब्लड टेस्ट : इसमें आपके हाथ से ब्लड सैंपल लिया जाता है। जिसके जरिए ब्लड में FSH लेवल को मापा जाता है। ब्लड सैंपल की प्रक्रिया 3 मिनट से भी कम समय में हो जाता है।
2. यूरिन टेस्ट : इसका सुझाव विशिष्ट स्थितियों में हीं दिया जाता है। 24 घंटों के अंतराल में एक या दो सैंपल कलेक्ट करने के लिए कह सकते हैं। यूरिन सैंपल कलेक्ट करते समय स्वच्छता का पालन करना आवश्यक है।
पुरुषों के लिए FSH सामान्य सीमा
पुरुषों में FSH का सामान्य स्तर 1.5 से 12.4 mlU/mL के बीच रहता है। पुरुषों में कम FSH होना हाइपोथैलेमस या पिट्यूटरी ग्रंथि की शिथिलता का संकेत है और FSH का उच्च स्तर अंडकोष की क्षति का संकेत हो सकता है।
महिलाओं के लिए FSH सामान्य सीमा
महिलाओं में मासिक चक्र के शुरूआत में FSH का स्तर 3.5 से 12.5 mlU/mL, ओवुलेशन के दौरान 4.7 से 21.5 mlU/mL और मेनोपॉज के बाद 25 mlU/mL तक बढ़ जाता है। पिट्यूटरी ग्रंथि में खराबी, ओवरी में पर्याप्त अंडे न बना पा रहे हो तब महिलाओं में FSH का लेवल कम होता है। उच्च FSH महिलाओं में मेनोपॉज, पेरिमेनोपॉज, PCOS, डिम्बग्रंथि ट्यूमर की समस्या का संकेत हो सकता है।
Diwya Vatsalya Mamta IVF में IVF treatment से गुजरने वाली महिलाएं अपने उपचार योजना को अनुकूलित करने के लिए अपने FSH test भी करवा सकती हैं।
आयु के अनुसार सामान्य FSH स्तर चार्ट
फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) हमारे शरीर में प्रजनन तंत्र को नियंत्रित करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाता है। आइये जानते है, आयु के अनुसार सामान्य FSH स्तर चार्ट को
FSH का सामान्य स्तर | यौवन से पहले (IU/L) | यौवन के दौरान (IU/L) | पीरियड्स के दौरान (IU/L) | पीरियड्स के बाद (IU/L) |
महिलाओं | 0-4.0 | 0.3-10.0 | 4.5-21.5 | 25.8-134.8 |
पुरुषों | 0-5.0 | 0.3-10.0 | – | – |
बच्चों | <0.4 | – | – | – |
FSH टेस्ट कब करना चाहिए? (When Should the FSH Test Be Done)
डॉक्टर अलग-अलग स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जांच करने के लिए FSH टेस्ट के सुझाव दे सकते हैं।
महिलाओं : पीरियड्स संबंधित समस्या, पीरियड्स का न आना, मेनोपॉज, इनफर्टिलिटी, पोलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम जैसी समस्याओं के निदान के लिए यह टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं।
पुरुषों : इनफर्टिलिटी, टेस्टिकल के विकास में समस्या, स्तनों का आकार असामान्य रूप से बढ़ना जैसी समस्याओं के लिए यह टेस्ट करने के लिए कह सकते हैं।
FSH लेवल में असंतुलन के कारण (Causes of Imbalance in FSH Levels)
FSH लेवल में असंतुलन होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
मेनोपॉज : मेनोपॉज की शुरुआत होते हीं ओवरी एग्स के उत्पादन को बढ़ावा देने वाले हार्मोन के प्रति कम प्रतिक्रिया करना शुरू कर देते हैं। जिसकी वजह से FSH का संतुलन बिगड़ जाता है। (और पढ़े : मेनोपॉज क्या है?लक्षण और उपाय)
डिम्बग्रंथि में समस्या : जब ओवरी 40 वर्ष की आयु से पहले काम करना बंद कर दें तब POI की स्थिति पैदा होती है। इस स्थिति में शरीर ओवरी को उत्तेजित करने की कोशिश करता है ऐसे में FSH का संतुलन बिगड़ जाता है।
PCOS: इस स्थिति में महिलाओं में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन का लेवल अधिक बढ़ जाता है और कुछ में FSH का लेवल बढ़ जाता है। (और पढ़े : पीसीओएस के शुरुआती लक्षण और इलाज)
टर्नर सिंड्रोम : यह स्थिति तब होती है जब X गुणसूत्र अधूरे या फिर होते हीं नहीं है।
FSH लेवल संतुलित करने के उपाय (Ways to Balance FSH Levels)
महिलाओं में FSH लेवल की वजह से गर्भधारण करने में समस्या आ रही हो तो निम्नलिखित उपचार से उसे ठीक किया जा सकता है।
* प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाली दवाएं जैसे कि क्लोमीफ़ीन साइट्रेट या फिर गोनाडोट्रोपिन इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो ओवरी को एग्स बनाने के लिए उत्तेजित करता है।
* आईयूआई जैसे उपचार असफल रहे तो डॉक्टर IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) के लिए सुझाव दे सकते हैं। जिसमें ओवरी से एग निकालकर लेबोरेटरी में फर्टिलाइज किए जाते हैं।
* जिन महिलाओं में एग बनने में दिक्कत आ रही हो या क्वालिटी के एग न बन रहे हो तो ऐसे में डोनर एग का इस्तेमाल किया जा सकता है। डोनर एग के साथ पार्टनर के स्पर्म फर्टिलाइज कर भ्रृण को पुनः गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है।
इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव, संतुलित आहार, स्वस्थ वजन, नियमित कसरत, स्ट्रेस को कम करना, तंबाकू और शराब के सेवन से दूर रहकर भी FSH लेवल को ठीक किया जा सकता है।
पटना में FSH टेस्ट की कीमत क्या है? (What is the Cost of the FSH Test in Patna)
FSH (Follicle-Stimulating Hormone) टेस्ट एक महत्वपूर्ण टेस्ट है जो महिला और पुरुष दोनों की प्रजनन क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। पटना में सभी लेबोरेटरी और होस्पिटल में FSH test की कीमत अलग अलग होती है। हालांकि आम तौर पर इसकी कीमत Rs 500-1000 के बीच होती है। FSH टेस्ट करवाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श लें और विभिन्न लैब्स से कीमतों की तुलना करें तब जा के सही जगह जा के टेस्ट करवाए ।
Diwya Vatsalya IVF आपकी प्रजनन क्षमता को समझने में आपकी मदद करना
स्वस्थ शरीर के लिए प्रजनन स्वास्थ्य और उसकी क्षमता को समझना जरूरी है। प्रजनन क्षमता के प्रति बेरुखी कई बीमारियों को आमंत्रण दे सकती है। पटना का सबसे बढ़िया आईवीएफ केंद्रों में से एक Diwya Vatsalya IVF, में प्रजनन क्षमता को समझने के लिए एफएसएच test एक अनिवार्य हिस्सा है। हमारे यहाँ आईवीएफ, आईयूआई सहित प्रजनन उपचारों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते है
निष्कर्ष
FSH (FSH Test in Hindi) एक प्रकार का हार्मोन हीं हैं जिसकी मदद से प्रजनन क्षमता की जांच की जा सकती है। कई बार मासिक चक्र में समस्या होना, गर्भधारण करने में असफता, मेनोपॉज, बच्चों में युवावस्था शुरू होने में देरी या फिर समय से पहले शुरू हो जाना जैसी कई समस्याओं की जांच करने के लिए FSH test किया जाता है।
और पढ़े :
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
एफएसएच Test कैसे किया जाता है?
FSH टेस्ट दो तरीके से – ब्लड और युरिन सैंपल के जरिए किया जाता है।
FSH टेस्ट किस उम्र में कराना चाहिए?
अगर FSH असंतुलन होने के लक्षण दिखें तो बिना कोई उम्र देखे तुरंत हीं डॉक्टर से संपर्क करें और उनके सुझाव पर FSH टेस्ट करवाएं।
एफएसएच Test की रिपोर्ट कैसे समझें?
FSH का कम लेवल ओवेरियन के बेहतर फंक्शन को दिखाता है और उच्च स्तर ओवेरियन रिजर्व की ओर संकेत देता है, जो गर्भावस्था को कठिन बना देता है।
FSH टेस्ट के सामान्य स्तर क्या हैं?
महिलाओं में मासिक चक्र के शुरूआत में FSH का स्तर 3.5 से 12.5 mlU/mL, ओवुलेशन के दौरान 4.7 से 21.5 mlU/mL और मेनोपॉज के बाद 25 mlU/mL तक बढ़ जाता है और पुरुषों में 0-5.-0 से 0.3-10.0 mlU/mL तक हो सकता है।
FSH टेस्ट क्या है और यह किसके लिए उपयोगी है?
FSH एक तरह का हार्मोन हीं होता है। इस टेस्ट के जरिए प्रजनन स्वास्थ्य और फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याओं के निदान किया जाता है।
एफएसएच Test से पहले कौन-सी तैयारी आवश्यक है?
इस टेस्ट से पहले किसी भी तैयाररी की जरूरत नहीं होती लेकिन महिला को अपनी पीरियड्स की तारीख के बारे में डॉक्टर को बताना जरूरी है। इसके अलावा अगर महिला कोई दवा या सप्लिमेंट ले रही हो तो उसके बारे में भी डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
FSH टेस्ट कराने का सबसे अच्छा समय कब है?
फर्टिलिटी के लिए FSH टेस्ट करवाना हो तो इस टेस्ट के लिए महिला के पीरियड्स का तीसरा दिन सबसे अच्छा समय रहता है।